डेरा प्रमुख को माफी पर मचा बवाल, 'सरबत खालसा' की तैयारी
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को माफी देने का फैसला विवादों के घेरे में आ गया है। सिख संगठनों ने सवाल उठाया है कि डेरा प्रमुख ने जब माफी नहीं मांगी है तो फिर उन्हें क्यों माफ किया गया।
अमृतसर [अशोक नीर]। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम सिंह को माफी देने का पांच सिंह साहिबानों का फैसला विवादों के घेरे में आ गया है। सिख संगठनों ने तीखा विरोध जताते हुए सवाल उठाया है कि डेरा प्रमुख ने न तो श्री अकाल तख्त साहिब से और न ही पंथ से माफी मांगी है, फिर उन्हें किस गुरु मर्यादा व पंथक परंपरा के अनुसार माफ किया गया।
अमेरिका व पाकिस्तान से भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं। निर्णय के विरुद्ध 'सरबत खालसा' बुलाने के लिए देश-विदेश के संगठन एक-दूसरे के संपर्क में हैं।
श्री अकाल तख्त साहिब के तत्कालीन जत्थेदार ज्ञानी जोगिंदर सिंह वेदांती ने 17 मई, 2007 को तख्त श्री दमदमा साहिब में आयोजित पंथक बैठक में डेरा सिरसा प्रमुख के विरुद्ध हुक्मनामा जारी किया था। इसके तहत सिख संगत को आदेश था कि गुरमीत राम रहीम व उससे संबंधित किसी व्यक्ति के साथ किसी किस्म का धार्मिक, सामाजिक, भाईचारा व राजसी संबंध नहीं रखा जाए।
गुरमीत राम रहीम ने माफी मांगी नहीं तो श्री अकाल तख्त साहिब ने क्यों दी
एसजीपीसी की पूर्व महासचिव बीबी किरणजोत कौर ने कहा कि 2007 में जिस प्रकार पंथक कन्वेंशन बुलाकर हुक्मनामा जारी किया गया था उसी तरह सिंह साहिबान को उसके स्पष्टीकरण के पत्र पर कन्वेंशन बुलानी चाहिए था।
उन्होंने कहा कि 1955-56 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री भीम सेन सच्चर ने श्री हरिमंदिर साहिब में पुलिस का प्रवेश करवाया था। वह सिख नहीं थे। इसके बावजूद उन्हें गलती का अहसास हुआ। वह श्री अकाल तख्त साहिब पर पंथ से माफी मांगने आए थे। पंथ ने उन्हें माफ किया। यदि संत राम रहीम माफी मांगने के प्रति गंभीर होते तो श्री अकाल तख्त साहिब में उपस्थित होकर माफी मांग सकते थे।
अमेरिका कमेटी ने कहा, गुपचुप निर्णय के पीछे राजनीतिक साजिश
अमेरिका गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एपीजीसी) के अध्यक्ष जेएस होती व कोआर्डीनेटर डॉ. प्रितपाल सिंह ने कहा कि सिंह साहिबान ने साध को गुपचुप ढंग से माफी देकर गुरु मर्यादा का हनन किया है। डेरा सच्चा सौदा ने माफी ही नहीं मांगी है, केवल स्पष्टीकरण दिया है। सिंह साहिबानों का यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मुद्दे पर वह देश-विदेश के सिख संगठनों के संपर्क में हैं, ताकि सरबत खालसा बुलाकर सिंह साहिबानों द्वारा दी गई माफी पर पुनर्विचार किया जाए। माफी के फैसले से राजनीति की बू आ रही है।
उधर शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के महासचिव हरविंदर सिंह सरना ने भी विरोध जताते हुए फैसले को राजनीति से प्रेरित करार दिया है।
कौम की भावना आहत करने वाला फैसला : बलदेव सिंह
अखंड कीर्तनी जत्था इंटरनेशनल व धर्म प्रचार लहर के मुखी जत्थेदार बलदेव सिंह ने कहा कि गुरमीत राम रहीम को माफी देने का फैसला सही नहीं है। सिंह साहिबानों ने सिख कौम की भावना को ठेस पहुंचाते हुए फैसले को थोपा है। अखंड कीर्तनी जत्था इंटरनेशनल पांच सिंह साहिबान के इस फैसले से सहमत नहीं है। समय की मांग है कि अब सिख कौम को इकट्ठे होकर कोई फैसला करना पड़ेगा।
फैसला मान्य नहीं, जारी रहेगा राम रहीम का बायकाट
पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सलाहकार बोर्ड ने भी फैसले पर विरोध जताया है। पाकिस्तान कमेटी ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह से मांग की है कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें। साथ ही दोटूक कहा कि यदि सिंह साहिबान ने फैसले पर पुनर्विचार न किया तो श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर पाकिस्तान में सिख बड़ा फैसला करेंगे। कमेटी के महासचिव गोपाल सिंह चावला ने कहा कि पाकिस्तान कमेटी गुरमीत राम रहीम का बायकाट जारी रखेगी।