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    गीतकार गुलजार बोले- मैंने देखा है लाशों के ढेर पर देश को बंटते हुए

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Thu, 17 Aug 2017 03:45 PM (IST)

    गीतकार गुलजार ने विभाजन पर अपनी पीड़ा जाहिर की। उन्होंने कहा मैंने लाशों के ढेर पर देश को बंटते हुए देखा। वह पार्टीशन म्यूजियम के शुभारंभ के मौके पर पहुंचे थे।

    गीतकार गुलजार बोले- मैंने देखा है लाशों के ढेर पर देश को बंटते हुए

    जेएनएन, अमृतसर। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वीरवार को टाउन हॉल स्थित पार्टीशन म्यूजियम का किया शुभारंभ। कैप्टन ने कहा विभाजन का दर्द बहुत बड़ा था। यह म्यूजियम भारत-पाक के विभाजन के दौरान बिछड़े लोगों की दुर्लभ वस्तुओं से शोभायमान है। कैप्टन ने कहा कि ब्रिटेन में भारत की कुछ ऐतिहासिक वस्तुएं हैं जिन्हें लाने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यक्रम में उपस्थित गीतकार गुलजार ने विभाजन पर अपनी पीड़ा जाहिर की। उन्होंने कहा मैंने लाशों के ढेर पर देश को बंटते हुए देखा।

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    इससे पहले फरवरी में भी गुलजार विभाजन का दर्द आंखों में समेटे अमृतसर के टाउन हाल स्थित पार्टिशियन म्यूजियम में पहुंचे थे। यह म्यूजियम भारत-पाक विभाजन की जीवंत तस्वीरों से गुलजार है। गुलजार ने म्यूजियम में लगी हर तस्वीर को बारीकी से देखा। इस दौरान उनकी आंखें नम होती रहीं।

    गुलजार कार्यक्रम को संबोधित करते हुए।

    असल में विभाजन का दर्द गुलजार के सीने में आज भी टीस देता है। पाकिस्तान की झेलम तहसील के दीना गांव में रहने वाले गुलजार तब 11 बरस के थे। मुल्क के हालात बिगड़े और फिर सरहद पर एक लकीर खींच दी गई। एक हिस्सा हिंदुस्तान और दूसरा पाकिस्तान बन गया।


    फरवरी में भी गुलजार म्यूजिमयम देखने पहुंचे थे। इस दौरान विभाजन की तस्वीरें देखकर वह भावुक हो गए थे।

    गुलजार ने कहा कि इस हादसे में उनका बचपन पाकिस्तान में छूट गया। गुलजार ने कहा कि यह बहुत लंबी कहानी है। मैं जिस हालात से गुजरा हूं, आज वह एक बार फिर सामने आ गया। मेरा जी भर आया है। लाशें देखीं, खून से लथपथ तड़पते लोग देखे।

    म्यूजियम देखते हुए गुलजार ने कहा कि किसी का बच्चा गुम गया, किसी की बहन गुम हो गई। लोग ताउम्र भटकते रहे। बंटवारा कई सवालों को जन्म दे गया। इससे पूर्व कला प्रेमियों ने 'गुफ्तगू विद गुलजार' कार्यक्रम में उस दौर से संबंधित कई सवाल पूछे। विभाजन के बाद गुलजार के परिवार ने अमृतसर में पनाह ली, परंतु गुलजार का बचपन दिल्ली में ही गुजरा। इस दौरान शायरी और कविताएं लिखने लगे। फिर मुंबई की ओर रुख किया। मायानगरी में भी गुलजार को कई इम्तिहान से होकर गुजरना पड़ा।

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