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    किरपाल सिंह बडूंगर बने एसजीपीसी के नए प्रधान

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Sat, 05 Nov 2016 08:09 PM (IST)

    किरपाल सिंह बडूंगर एसजीपीसी के प्रधान चुने गए हैं। यहां एसजीपीसी की साधारण सभा में उनको सर्वसम्‍मति से नया प्रधान चुना गया।

    जेएनएन, अमृतसर। किरपाल सिंह बडूंगर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान बनाए गए हैं। यहां एसजीपीसी की साधारण सभा में शनिवार को बडूंगर को नया प्रधान चुन लिया गया। उनको सर्वसम्मति से प्रधान चुना गया, हालांकि इस पर थोड़ा हंगामा भी हुआ। इसके साथ एसजीपीसी के अन्य पदाधिकारियों को भी चुनाव हो गया।

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    जत्थेदार तोता सिंह ने बडूंगर का नाम प्रस्तावित किया और बीबी जागीर कौर ने इसका समर्थन किया। इस दौरान दो सदस्यों ने चुनाव प्रक्रिया पर एतराज जताया, लेकिन थोड़ी देर के हंगामे के बाद सब कुछ ठीक हो गया। बडूंगर के नाम पर सर्वसम्मति बन गई। इसके अलावा बलदेव सिंह कयूमपुरा को सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, बाबा बूटा सिंह को वाइस प्रेसिडेंट और अमरजीत सिंह चावला को महासचिव चुना गया।

    इसके साथ ही एसजीपीसी के लिए पिछले कुछ दिनों से जारी गहमागहमी समाप्त हो गई। अब तक एसजीपीसी के प्रधान का पद अवतार सिंह मक्कड़ संभाल रहे थे। बडूंगर पहले भी एसजीपीसी के प्रधान रहे हैं। इस समय एसजीपीसी के सदस्यों में किरपाल सिंह बडूंगर एक ऐसे हैं जिनका न तो कोई धड़ा है और न ही वह कभी विवादों में रहे हैं। उन्होंने पहले एसजीपीसी का अध्यक्ष पद मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के कहने पर छोड़ दिया था। उस समय बादल व गुरुचरण सिंह टोहरा का समझौता हुआ था और इसी कारण बडूंगर ने पद छोड़ा था।

    गुरुद्वारा एक्ट से पहले व बाद के एसजीपीसी के अध्यक्षों की सूची

    गुरुद्वार एक्ट से पहले
    सुंदर सिंह मजीठिया : दो अक्टूबर 1920 से 14 अगस्त 1921 तक
    बाबा खड़क सिंह : 14 अगस्त 1921 से 19 फरवरी 1922 तक
    सुंदर सिंह रामगढिय़ा :19 फरवरी 1922 से 16 जुलाई 1922 तक
    बहादर मेहताब सिंह: 16 जुलाई 1922 से 27 अप्रैल 1925 तक
    मंगल सिंह :27 अप्रैल 1925 से दो अक्टूबर 1926 तक
    गुरुद्वारा एक्ट लागू होने के बाद
    बाबा खड़क सिंह : दो अक्टूबर 1926 से 12 अक्टूबर 1930 तक
    मास्टर तारा सिंह :12 अक्टूबर 1930 से 17 जून 1933 तक
    गोपाल सिंह कौमी : 17 जून 1933 से 18 जून 1933 तक
    प्रताप सिंह शंकर :18 जून 1933 से 13 जून 1936 तक
    मास्टर तारा सिंह :13 जून 1936 से 19 नवंबर 1944 तक
    जत्थेदार चनन सिंह उराड़ा : 18 मार्च 1950 से 26 नवंबर 1950 तक
    जत्थेदार ऊधम सिंह नागोके : 28 जून 1948 से 28 मार्च 1950 तक
    जत्थेदार चनन सिंह उराड़ा : 18 मार्च 1950 से 26 नवंबर 1950 तक
    जत्थेदार ऊधम सिंह नागोके : 26 नवंबर 1950 से 29 जून 1952 तक
    मास्टर तारा सिंह : 29 जून 1952 से 5 अक्टूबर 1952 तक
    प्रीतम सिंह खड़ंज : पांच अक्टूबर 1952 से 18 जनवरी 1954 तक
    ईशर सिंह मझैल :18 जनवरी 1954 से सात फरवरी 1955 तक
    मास्टर तारा सिंह :सात फरवरी 1955 से 21 मई 1955 तक
    बावा हरकिशन सिंह : 21 मई 1955 से 7 जुलाई 1955 तक
    ज्ञान सिंह राड़ेवाला : सात जुलाई 1955 से 16 नवंबर 1958 तक
    प्रेम सिंह लालपुरा :16 नवंबर 1958 से सात मार्च 1960 तक
    मास्टर तारा सिंह : सात मार्च 1960 से तीन अप्रैल 1960 तक
    अजीत सिंह बाला : तीन अप्रैल 1960 से दस मार्च 1961 तक
    मास्टर तारा सिंह : दस मार्च 1961 से 11 मार्च 1962 तक
    कृपाल सिंह चक्क शेरे वाला : 11 मार्च 1962 से दो अक्टूबर 1962 तक
    संत चनन सिंह : दो अक्टूबर 1962 से 30 नवंबर 1972 तक
    गुरचरण सिंह टोहरा : 6 जनवरी 1973 से 23 मार्च 1986 तक
    काबल सिंह : 23 मार्च 1986 से 30 नवंबर 1986 तक
    गुरचरण सिंह टोहरा : 30 नवंबर 1986 से 28 नवंबर 1990 तक
    बलदेव सिंह सीबिया : 28 नवंबर 1990 से 13 नवंबर 1991 तक
    जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा :13 नवंबर 1991 से 13 अक्टूबर 1996 तक
    जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा :20 दिसंबर 1996 से 16 मार्च 1999 तक
    बीबी जागीर कौर : 16 मार्च 1999 से 30 नवंबर 2000 तक
    जत्थेदार जगदेव सिंह तलवंडी : 30 नवंबर 2000 से 27 नवंबर 2001 तक
    प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर : 27 नवंबर 2001 से 20 जुलाई 2003 तक
    जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा : 20 जुलाई 2003 से 31 मार्च 2004 तक
    कार्यकारी प्रधान अलविंदर पाल सिंह पखोके : एक अप्रैल 2004 से 23 सितंबर 2004 तक
    बीबी जागीर कौर : 23 सितंबर 2004 से 23 नवंबर 2005 तक
    जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ : 23 नवंबर 2005 से 5 नवंबर 2016 तक
    प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर : पांच नवंबर 2016 से जारी