सिद्धू की कैबिनेट से विदाई के बाद कांग्रेस में सियासत गरमाई, पंजाब में गुरु खिला सकते हैं नया गुल
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू का कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा मंजूर कर लिया है। प्रियंका गांधी के दखल के बाद भी विवाद खत्म नहीं हुआ।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब के फायर ब्रांड नेता व पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की पंजाब की कांग्रेस सरकार से विदाई हो गई है। इसके बाद कांग्रेस में सियासत गरमा गई है। सिद्धू के अगले कदम और उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कयासबाजी में तेजी आ गई है। बताया जाता है कि कांग्रेस सिद्धू को खोना नहीं चाहती है और वह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के संपर्क में हैं। ऐसे में संभावना है कि पार्टी उनको कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकती है। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी और बैंस ब्रदर्स ने भी सिद्धू को अपने साथ आने का न्यौता दिया है। पूरे मामले में सिद्धू पंजाब की राजनीति में नया गुल भी खिला सकते हैं।
बता दें मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 15 जुलाई को दिया सिद्धू का का मंत्री पद से दिया इस्तीफा शनिवार को मंजूर कर लिया। कैप्टन ने सिद्धू का इस्तीफा राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को भेजा। इसके बाद राज्यपाल ने भी इस्तीफा स्वीकर कर लिया। सिद्धू के इसके साथ ही अब सिद्धू के राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल उठ गए हैं। दूसरी ओर, सिद्धू के इस्तीफे से कैबिनेट में खाली हुए स्थान के लिए नेताओं की लॉबिंग तेज हो गई है।
बताया जाता है कि कैप्टन ने सिद्धू के अपने रुख पर कायम रहने के बाद उनका इस्तीफा स्वीकार करने का फैसला किया। अब सिद्धू के अगले कदम को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है। सिद्धू इस्तीफा देने के बाद से मौन हैं। इस्तीफा मंजूर होने के बाद अब सिद्धू के अगले एक्शन पर नजरें टिक गई हैं।
सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार हो जाने के बाद कैबिनेट में खाली हुई जगह के लिए पंजाब कांग्रेस के नेताओं अपना पूरा जोर लगा दिया है। कैप्टन की कैबिनेट पहले ऊर्जा विभाग संभालने वाले राणा गुरजीत के फिर से मंत्री बनने के आसार सबसे अधिक हैं। राणा के पास सिंचाई महकमा भी पिछली बार था। राणा गुरजीत को रेत की खड्डे की नीलामी को लेकर हुए विवाद के कारण मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि बाद में जांच आयोग ने राणा गुरजीत को क्लीन चिट दे दी। ऐसे में उनके दोबारा मंत्री बनने की संभावना बढ़ गई है।
दूसरी ओर अब नवजोत सिद्धू के सियासी भविष्य को लेकर बड़ा सवाल उठा गया है। सिद्धू ने पिछले डेढ़ महीने से मीडिया के साथ दूरी बनाई हुई है। बताया जाता है कि वह अपने निकटवर्ती मित्रों के साथ भी कोई बात नहीं कर रहे हैं। इस कारण उनके अगले कदम के बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है।
बताया जाता है कि सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच विवाद में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी दखल दिया था, लेकिन दोनों नेताओं के बीच पैदा हुई अहम की लड़ाई समाप्त नहीं हुई। सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पुन: पार्टी महासचिव प्रियंका वाड्रा से बात की थी। बताया जाता है कि प्रियंका के हस्तक्षेप के कारण कैप्टन ने सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था। वैसे, बताया जा रहा है कि कांग्रेस सिद्धू जैसे फायर ब्रांड नेता को खोना नहीं चाहती, इसलिए उनको दूसरे तरीके से जिम्मेदारी दी जा सकती है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार सुबह नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार किया। उन्होंने इस्तीफे को अंतिम स्वीकृति के लिए राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को भेज दिया। बदनौर की स्वीकृति के बाद नवजोत सिंह सिंह सिद्धू की जगह नए मंत्री बनाए जाने की हलचल शुरू होगी। इस पद के लिए पहले से ही कई नेता लॉबिंग में जुटे हैं
बताया जाता है कि कैप्टन पूरे मामले में सिद्धू को लेकर नरम होने को तैयार हो गए थे, लेकिन सिद्धू के रुख के कारण मामले का हल नहीं हुआ। नवजोत सिंह सिद्धू कैबिनेट में फिर से स्थानीय निकाय विभाग मांग रहे थे, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह कियी भी हालत में उन्हें यह विभाग दोबारा देने को तैयार नहीं हुए। उल्लेखनीय है कि कैप्टन ने 6 जून को नवजोत सिंह सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग वापस ले लिया था और उनको ऊर्जा विभाग सौंपा था।
सिद्धू ने 40 दिनों के बाद भी ऊर्जा विभाग का कार्यभार नहीं संभाला। 14 जुलाई को उन्होंने खुलासा किया कि वह मंत्री पद से अपाना इस्तीफा 10 जून को राहुल गांधी को सौंप चुके हैं। इस पर सवाल उठने के बाद नवजोत सिद्धू ने 15 जुलाई को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद से अब अमरिंदर ने इस पर फैसला किया है।
चर्चाएं- नवजोत सिद्धू फिर मांग रहे थे निकाय विभाग, कैप्टन नहीं हुए तैयार
जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेजने के बाद सिद्धू ने प्रियंका गांधी वाड्रा से बात की। वह अपना सम्मान बचाने के लिए पुन: स्थानीय निकाय विभाग मांग रहे थे। कैप्टन ने सिद्धू पर आरोप लगाया था कि उनकी घटिया कारगुजारी के कारण लोकसभा चुनाव में पार्टी को शहरों में नुकसान हुआ। इसे सिद्धू अपने माथे पर कलंक मान रहे हैं।
सीएम अमरिंदर को इस्तीफा भेजने के बाद सिद्धू ने प्रियंका से की बात
जिन 13 मंत्रियों के विभाग बदले गए उनमें सिद्धू एकमात्र ऐसे मंत्री थे जिन पर नकारा होने का ठप्पा लगा। ऐसे आरोपों के साथ सिद्धू ऊर्जा विभाग ज्वाइन नहीं करना चाहते। हालांकि पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्र बताते हैं कि खुद प्रियंका यह चाहती थीं कि सिद्धू अपनी जिद छोड़ दें क्योंकि कैप्टन उन्हें निकाय विभाग नहीं देना चाहते।
वैसे कांग्रेस वर्तमान स्थिति में नवजोत सिद्धू को खोना नहीं चाहती है। उसे लग रहा है कि अगर सिद्धू किसी दूसरी पार्टी में जाते हैं तो वह कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। लोक सभा चुनाव में देश भर में कांग्रेस की हार हुई है। ऐसी स्थिति में पार्टी यह जोखिम उठाने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि सिद्धू को अब दूसरे तरीके से महत्व दिया जा सकता है।
उधर नवजोत सिद्दू के लिए आम आदमी पार्टी और लोग इंसाफ पार्टी ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं। आप यह नेता हरपाल चीमा और लोक इंसाफ पार्टी के नेता सिमरजीत सिंह बैंस ने तो उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने के लिए न्यौता दिया है।