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इस्‍तीफे के बाद कांग्रेस नेताओं के निशाने पर नवजाेत सिद्धू, आप का मिला साथ

इस्‍तीफा देने के बाद नवजोत सिद्धू निशाने पर हैं। विरोधी उनके अंदाज पर सवाल उठा रहे हैं। पंजाब के एक मंत्री ने कहा कि सिद्धू इतने बुद्धू नहीं है कि उनको प्रोटोकॉल का पता न हो।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 11:35 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 11:49 AM (IST)
इस्‍तीफे के बाद कांग्रेस नेताओं के निशाने पर नवजाेत सिद्धू, आप का मिला साथ
इस्‍तीफे के बाद कांग्रेस नेताओं के निशाने पर नवजाेत सिद्धू, आप का मिला साथ

चंडीगढ़, जेएनएन। पूर्व क्रिकेटर और पंजाब के कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू कैप्‍टन अमरिंदर सिंह कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद चौतरफा घिर गए हैैं। विरोधी उनके इस्‍तीफे के अंदाज पर सवाल कर रहे हैं और उन पर तीखे हमले कर रहे हैं। विरोधियों के साथ कैबिनेट सहयोगियों ने भी उन पर निशाना साधा है। पंजाब के एक वरिष्‍ठ मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि सिद्धू इतने बुद्धू नहीं हैं कि उनको इस्‍तीफे को लेकर प्रोफाइल का पता नहीं हो। एक अन्‍य मंत्री ने भी इसी तरह का सवाल उठाया है। कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा व अन्‍य दलों के नेताओं ने भी सिद्धू पर निशाने साधे हैं। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी और पंजाब एकता पार्टी सिद्धू के साथ खड़े नजर आ रहे हैं।

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वरिष्‍ठ मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने कहा- नाट्यशास्त्र के राजा सिद्धू इतने बुद्धू कि उन्हें प्रोटोकाल का पता नहीं

राहुल गांधी को इस्तीफा भेजने पर कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने सिद्धू को नाट्यशास्त्र का महारथी करार दिया। बह्म मोहिंद्रा ने कहा, क्‍या नाट्यशास्‍त्र के राजा सिद्धू इतने बुद्धू हैं कि उन्हें प्रोटोकाल का पता नहीं है। सिद्धू को इस्तीफा सीधा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भेजना चाहिए था न कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को।

इस्‍तीफा सिद्धू की नाटकबाली, इसके लिए ट्विटर उचित मंच नहीं : चन्नी

ब्रह्म माहिंद्रा के साथ ही कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्‍नी ने भी सिद्धू के इस्तीफे को नाटकबाजी बताया। उन्‍होंने कहा कि सिद्धू पहले इस्तीफे को ट्विटर पर डालते हैं और बाद में कहते हैं कि वह मुख्यमंत्री को भी अपना इस्तीफा भेज रहे हैं। जब उन्होंने 10 जून को इस्तीफा दे दिया था तो फिर इसकी घोषणा करने में 34 दिन क्यों लगा दिए? इसके अलावा इस्‍तीफा देने के लिए ट्विटर उचित मंच नहीं है।

दोनों मंत्रियों ने कहा कि सिद्धू ने 40 दिनों तक बिजली विभाग न संभाल कर काम अधर में लटकाए रखा। उन्होंने इस तथ्य का भी संज्ञान नहीं लिया कि धान की बिजाई के लिए बिजली महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने रवैये से होनेवाले दुष्प्रभाव की परवाह नहीं की। उन्हें केवल अपने लिए नहीं बल्कि राज्य और अपने लोगों के साथ-साथ उस पार्टी की तरफ भी सोचना चाहिए जिसने उन्हें इतना कुछ दिया था।

इस्तीफा महज ड्रामेबाजी है : सुखबीर बादल

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष एवं फिरोजपुर से सांसद सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि सिद्धू का इस्तीफा महज ड्रामेबाजी है। कांग्रेस प्रधान को इस्तीफा देने का मतलब नहीं। यह तो केवल औपचारिकता की गई है। इससे स्पष्ट हो गया है कि सिद्धू ने कांग्रेस को ब्लैकमेल करने तथा अपनी मर्जी के अनुसार झुकाने के लिए एक माह पहले इस्तीफे का यह ड्रामा किया था। इससे यह भी साबित होता है कि सिद्धू एक बहुत बड़ा अवसरवादी है, जो हमेशा अपने ही फायदे के बारे में सोचता है। 

इस्तीफा उसे दिया जिसने खुद इस्तीफा दिया हुआ है : चुग

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुग का कहना है कि नवजोत सिद्धू ने इस्तीफा भी उसे दिया जिसने खुद ही इस्तीफा दिया हुआ है। यह एक राजनीतिक ड्रामेबाजी है। कैप्टन अमरिंदर सिंह अब तक सिद्धू का इस्तीफा आने का इंतजार क्यों कर रहे हैं, उन्हें तो सिद्धू को कैबिनेट से बर्खास्त कर देना चाहिए।

 सिद्धू को बिजली माफिया को नंगा करना चाहिए था : आप

आम आदमी पार्टी विधायक दल के नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सिद्धू को तुरंत भ्रष्ट कांग्रेस पार्टी छोड़ देनी चाहिए। दस सालों के माफिया राज समेत बेअदबियों के मामलों पर सिद्धू का बादलों के विरुद्ध बेबाकी के साथ बोलना मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को रास नहीं आ रहा था। सिद्धू के बढ़ते राजनैतिक कद को कैप्टन अपनी कुर्सी के लिए भी खतरा समझने लगे थे। बेहतर तो यह होता कि सिद्धू प्राइवेट थर्मल कंपनियों के साथ किए महंगे और नाजायज शर्तों वाले समझौते रद करते और बादलों के बिजली माफिया को नंगा करते।

सच उजागर करने की कीमत चुकाई : खैहरा

पंजाबी एकता पार्टी के अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू ने कैप्टन और बादलों के गठजोड़ का सच उजागर करने की कीमत चुकाई है। करतारपुर कॉरिडोर को लेकर सिद्धू की लोकप्रियता बढ़ रही थी जो कैप्टन अमरिंदर सिंह को नहीं भा रही थी।

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सिद्धू की कोठी पर पसरा सन्नाटा

अमृतसर। दूसरी ओर, नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे का खुलासा हाेने के बाद उनकी कोठी पर सन्नाटा पसरा है। अंदर लगी सिद्धू परिवार और सिक्योरिटी की गाडिय़ों से कयास लगाए जाते रहे कि वह घर पर ही हैं, लेकिन इसकी पुष्टि किसी ने नहीं की।

सिद्धू निवास के बैक साइड पर उनका सियासी कार्यालय भी है, जहां विधानसभा हलका पूर्वी ही नहीं, बल्कि शहर भर से लोग अपना काम करवाने आते हैं। सिद्धू समर्थकों और करीबियों का भी जमावड़ा आफिस में लगा रहता है, लेकिन कोठी के सारे गेट सबके लिए बंद थे। सिक्योरिटी में तैनात मुलाजिम ही कुछ बोल रहे थे। इतना ही नहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या सिद्धू घर पर हैं, तो वह अंदर चले गए। सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर और उनके करीबियों के मोबाइल फोन या तो बंद मिले या फिर उन्होंने उठाया ही नहीं।

हताशा में सिद्धू खेमे के नेता 

सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनके साथ ही भाजपा में सक्रिय कई नेता कांग्रेस में आ गए थे। अब कांग्रेस द्वारा उन्हें हाशिये पर डाले जाने के बाद सिद्धू खेमा भी सियासी हताशा में हैं। करीबियों की सिद्धू के सियासी करियर पर निगाह है, क्योंकि उनका सियासी करियर उन पर ही निर्भर करता है।


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