Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वक्त के साथ चलीं अम्मा

    अपनी अम्मा के बारे में क्या कहूं यह समझ नहीं पा रही हूं। उनमें वो सारी खूबियां वो सारे ममता भरे गुण हैं, जो किसी भी आदर्श मां में होते हैं। अम्मा ने उम्र के 13वें साल में अपना फिल्मी कॅरियर आरंभ किया था..।

    By Edited By: Updated: Wed, 15 May 2013 01:16 PM (IST)
    Hero Image

    अपनी अम्मा के बारे में क्या कहूं यह समझ नहीं पा रही हूं। उनमें वो सारी खूबियां वो सारे ममता भरे गुण हैं, जो किसी भी आदर्श मां में होते हैं। अम्मा ने उम्र के 13वें साल में अपना फिल्मी कॅरियर आरंभ किया था..। कैसे जानती हैं आप.. यह वाक्या खुद अम्मा ने हम तीनों को उस वक्त बताया था जब अब्बू हमारे बीच थे। अम्मा उन दिनों कोलकाता के बंगाली मोहल्ले के सेंट जॉन पाठशाला में सातवीं में पढ़ती थीं। अम्मा की बड़ी बहन ने मशहूर फिल्मकार सत्यजीत रे की एक फिल्म में अभिनय किया था। शूटिंग के दौरान ही मौसी ने अम्मा के बारे में सत्यजीत रे की टीम को अवगत कराया कि किस तरह अम्मा ने पाठशाला के एक नाटक में उम्दा अभिनय किया है। एक दिन पाठशाला खत्म होने पर अम्मा घर आ रही थीं, तभी अम्मा ने महसूस किया कि एक व्यक्ति उनका पीछा कर रहा है। वह घबरा गईं और दौड़ते-भागते घर पहुंचीं। घर पहुंचकर सारा मामला वह अपने बाबूजी को बताने ही वाली थीं कि पीछा करने वाला वही शख्स उनके घर आ गया और बाबूजी से बात करने लगा। इस पर बाबूजी ने अम्मा को बुलाया और उस शख्स का परिचय देते हुए कहा कि बेटा, ये सत्यजीत रे के सहायक हैं, तुम्हें अपनी फिल्म के लिए साइन करने आए हैं.. इस तरह से अम्मा ने सत्यजीत रे की फिल्म अपूर संसार साइन की। उस दिन से अम्मा की अभिनय यात्रा बिना किसी रुकावट चलती ही रही..।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अम्मा की शादी हुई और वह हिंदू बंगाली से मुस्लिम परिवार की बेगम और फिर तीन बच्चों की मां बनीं..। एक शाही विरासत उन्होंने अपना ली.. सब कुछ उनके लिए दूसरी दुनिया थी.. बावजूद उनका अभिनय सफ र जस का तस रहा..। अम्मा ने टू-पीस बिकनी पहनी.. जींस पहनी.. छोटे बाल रखे.. हर अदा उन पर फबी..। उन्होंने जो भी किया शालीनता और गरिमा के साथ किया। उनकी सफलता के पीछे वक्त के साथ चलना एक प्रमुख वजह रही है।

    अम्मा का वजन बरसों से न तो कम हुआ है न बढ़ा है..। हो सकता है विरासत में मुझे अम्मी की कद-काठी मिली हो..। उनकी सीरत-सूरत मिली हो। अम्मा कुदरत का एक अजूबा हैं.. उनका खानपान, उनके तौर-तरीके, सलीका, आदतें, अनुशासन, एक्सरसाइज, योगा, मेडिटेशन सब कुछ काबिलेतारीफ है। आलसो शी इज वेरी पॉजिटिव।

    अब्बू को जीवनसंगिनी के रूप में उन्होंने हर खुशी दी। उनका साथ दो सितारों का साथ था। जब अब्बू बीमार हुए और उनकी सेहत क्रिटिकल थी, तब लग रहा था अम्मी को कैसे संभाला जाए.., पर इन हालात में अम्मी ने अपने आपको बखूबी संभाला। शी इज वेरी सॉफ्ट बाई हार्ट.. ऐट द सेम टाइम वो लायनेस भी हैं। मुश्किल पलों को कैसे संभाला जाए उन्हें यह भी अच्छी तरह पता है।

    मैं शुरू से फैशन के मामले में थोड़ा लापरवाह हूं.. जो मर्जी वो पहन लेती हूं। यकीन मानिए जब लगातार शूटिंग से थक जाती हूं.. आई वांट कंप्लीट रेस्ट..। ऐसे में मैं अपने बालों में कंघी तक नहीं करना चाहती.. कुर्ता-पैजामा पहने लेटी रहती हूं..। अम्मा मेरे साथ हों तो वो मुझे कभी इस तरह अनटायडी नहीं रहने देतीं। वह खुद मेरे बाल संवारेंगी.. मुझे प्रोत्साहित करेंगी और खुद भी तैयार होंगी। शी सेज, बेटा वूमनहूड इज ए सेलीब्रेशन..ह्वाई नॉट सेलीब्रेट इट..? किसी शादी-ब्याह या पार्टी में जाना हो तो वॉर्डरोब में जो कपडे़ सामने नजर आते हैं, मैं पहन लेती हूं.. सोचती हूं क्या तैयार होना..? मेरी इस आदत को अम्मी इतनी अच्छी तरह जान चुकी हैं कि वह मेरे तैयार होने के वक्त कमरे से हिलेंगी नहीं..। साथ ही मुझे निर्देश देती रहेंगी.. यू बेटर वेयर दिस.. क्यों उत्साह नहीं है तुम्हें तैयार होने के लिए..। गेट रेडी ब्यूटीफुली..। आज भी अम्मी मुझे तैयार कराती हैं और मैं उनको अपने कमरे से भगाने पर तुली रहती हूं।

    मुझे याद है बचपन में एक बार मेरी एक सफेद फ्रॉक मैली हो गई थी.. दूसरे दिन मैं उसी को पहनकर सहेली के घर बर्थडे पार्टी पर जाना चाहती थी। अम्मा ने उसे खुद धोया था। हम दोनों ने जब 'नए एरिअल' को एंडोर्स किया तो वे सारी बातें याद आयीं। उस दिन तो मैंने अम्मा को थैंक यू मॉम नहीं कहा था..। एक मां अपने बच्चों के लिए क्या कुछ नहीं करती.. तब यह जानने-समझने की मेरी उम्र नहीं थी.., पर आज मुझे अहसास हो रहा है। आज मैं मदर्स डे के उपलक्ष्य में अम्मा को थैंक्यू मॉम कहना चाहती हूं..। अपना कॅरियर संभालते हूए अम्मा ने पूरे परिवार को कितने प्यार-दुलार के साथ संभाला, इसका इल्म अब हो रहा है।

    69 उम्र की अम्मी पर उनकी उम्र हावी नहीं हुई। जिंदगी के हर पल को कैसे हंसी-खुशी जिया जाए, यह कोई अम्मा से सीखे। पिछले दिनों अम्मा को पद्मभूषण से सम्मानित किया गया.. उस दिन अम्मी किचन में बंगाली फिश करी की नई रेसिपी ट्राई कर रही थीं, ताकि वह करीना को उसका स्वाद चखा सकें..। अम्मा को क्रॉसवर्ड पजल सुलझाना बहुत अच्छा लगता है..। मैं और अम्मा कई बार सुडोकू लेकर बैठ जाते हैं।

    इस मदर्स डे पर अम्मा को मैं खुद खाना बनाकर खिलाने वाली हूं।

    मीनाक्षी राघवन

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर