1952 हेलसिंकी ओलंपिक: भारतीय पहलवान जाधव देश को दिलाया पहला व्यक्तिगत पदक
1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में यूं तो भारतीय हॉकी टीम ने फिर से स्वर्ण पदक हासिल किया, लेकिन चर्चा सोने से ज्यादा उस कांस्य पदक की होती है जिसे पहलवान खाशाबा जाधव ने जीता।
नई दिल्ली। 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में यूं तो भारतीय हॉकी टीम ने फिर से स्वर्ण पदक हासिल किया, लेकिन चर्चा सोने से ज्यादा उस कांस्य पदक की होती है जिसे पहलवान खाशाबा जाधव ने जीता। यह पहली बार था जब किसी भारतीय एथलीट ने व्यक्तिगत पदक हासिल किया हो। इसके पहले 1900 में नॉर्मन पिचार्ड ने दो रजत पदक जीते थे, लेकिन वे भारतीय मूल के नहीं थे और तब भारत भी अंग्रेजों के अधीन देश के रूप में हिस्सा लेता था। इतनी बड़ी उपलब्धि के बावजूद जाधव को कभी पदम पुरस्कार नहीं मिला। बेंटमवेट वर्ग (57 किग्रा से कम) में लड़ने वाले जाधव की चपलता उन्हें अपने समकालीन पहलवानों से अलग करती थी। इसी कारण अंग्रेज कोच रीस गार्डनर ने उनकी प्रतिभा पहचानते हुए प्रशिक्षण दिया।
हेलसिंकी को 1940 ओलंपिक की मेजबानी के लिए चुना गया था, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के कारण यह आयोजन नहीं हुआ। फिनलैंड के इस सुदूर उत्तरी शहर में हुए आयोजन में सबसे ज्यादा विश्व रिकॉर्ड टूटने का विश्व रिकॉर्ड बना। यह कीर्तिमान 2008 बीजिंग ओलंपिक तक रहा। सोवियत संघ, चीन, इजराइल और सारलैंड जैसे देशों ने पहली बार ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया। नए देश पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के 40 सदस्यीय दल में से केवल एक (वू चुआन्यू, तैराक) ही समय पर हेलसिंकी पहुंचा। इसके बाद 1984 तक चीन ने ओलंपिक में हिस्सा नहीं लिया। पीआरसी को प्रवेश देने से रिपब्लिक ऑफ चाइना (ताइवान) नाराज हो गया और खेलों का बहिष्कार किया।
हेलसिंकी ओलंपिक एक नजर-
-69 देशों ने हिस्सा लिया
-4955 एथलीट (4436 पुरुष, 519 महिलाएं) हुए शामिल
-17 खेलों की कुल 149 स्पर्धाएं हुईं
-64 भारतीय एथलीट आयोजन में शामिल हुए
-11 खेलों की 42 स्पर्धाओं में भारत ने चुनौती पेश की