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    अमेरिकी राष्ट्रपति, वैज्ञानिकों ने ट्रंप को लेकर दुनिया को चेताया

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Thu, 22 Sep 2016 05:45 AM (IST)

    बराक ओबामा और सैकड़ों वैज्ञानिकों ने डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर दुनिया को आगाह किया है।

    संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र/रायटर। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और सैकड़ों वैज्ञानिकों ने डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर दुनिया को आगाह किया है। ट्रंप शीर्ष पद के रिपब्लिकन दावेदार हैं। आठ नवंबर को होने वाले चुनाव में उनके और डेमोक्रेटिक प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन के बीच बराबरी की टक्कर दिख रही है।

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    वैश्रि्वक नेताओं की मौजूदगी में मंगलवार को ओबामा ने ट्रंप की नीतियों की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका सिर्फ मुसलमान होने के कारण शरणार्थियों का प्रवेश रोकता है तो इससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा। अमेरिका इस्लाम विरोधी है जैसे घिनौने झूठ को बढ़ावा मिलेगा। वे महासभा के 71वें सत्र के दौरान 'शरणार्थियों पर नेताओं के सम्मेलन' की मेजबानी कर रहे थे।

    उन्होंने कहा कि दुनिया द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के सबसे भीषण शरणार्थी संकट का सामना कर रही है। 6.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। इनमें से 2.1 करोड़ ऐसे लोग हैं जो सबकुछ छोड़कर अपने देश से भागे हैं। यदि हम इन शरणार्थियों को सिर्फ उनकी पृष्ठभूमि या धर्म की वजह से लौटाते हैं तो आतंकियों के उस दुष्प्रचार को बढ़ावा मिलेगा जो कहता है कि हमारे जैसे कई देश इस्लाम के खिलाफ हैं।

    इस्लामिक कट्टरवाद से अमेरिकियों को सबसे बड़ा खतरा: डोनाल्ड ट्रंप

    उल्लेखनीय है कि अपने चुनाव अभियान की शुरुआत से ही ट्रंप मुसलमानों और सीरियाई शरणार्थियों के अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी की मांग करते रहे हैं। सोमवार को उनके बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने ट्वीट कर शरणार्थियों की तुलना जहरीले कैंडी से की थी।

    दूसरी ओर, अमेरिकी नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस के 375 वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर ट्रंप की नीतियों को लेकर चिंता जताई है। इनमें से 30 वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। एक खुले पत्र में वैज्ञानिकों ने कहा है कि पेरिस जलवायु समझौता रद होने पर कार्बन उत्सर्जन को लेकर बनी वैश्विक साझेदारी को नुकसान पहुंचेगा। इससे दुनिया को एक ही संदेश जाएगा कि अमेरिका के लिए जलवायु परिवर्तन से इंसानों पर मंडरा रहे खतरे की कोई चिंता नहीं है। करीब दो सौ देशों ने पिछले साल दिसंबर में इस समझौते को लेकर रजामंदी जताई थी। इसी महीने की शुरुआत में अमेरिका और चीन ने इसे अमल में लाने की घोषणा की है। ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने पर इस समझौते को रद करने का वादा किया है।

    खत्म होगी शासक बदलने की नीति

    ट्रंप ने हिलेरी की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं। नॉर्थ कैरोलिना की जनसभा में उन्होंने कहा कि यदि वे राष्ट्रपति बने तो दूसरे देशों में शासक बदलने की नीति बंद करेंगे। उनका ध्यान आइएस को खत्म करने पर केंद्रित करेगा। इसके लिए सहयोगियों के साथ सैन्य अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी को चिढ़ाते हुए 26 सितंबर को होने वाली पहली प्रेसिडेंशियल बहस से 'अच्छी तरह सोने' की भी सलाह दी है। प्रचार अभियान से हिलेरी के एक दिन की छुट्टी लेने के संदर्भ में उन्होंने यह बात कही।

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