मुसलमानों के प्रवेश पर पाबंदी लगाएगा अमेरिका, ट्रंप जारी करेंगे आदेश
ट्रंप मेक्सिको सीमा पर दीवार के निर्माण का आदेश दे सकते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने की दिशा में उनका पहला कदम होगा।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका कई मुस्लिम देशों के नागरिकों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने जा रहा है। साथ ही मेक्सिको से लगी सीमा पर दीवार का भी निर्माण करेगा। मीडिया रिपोर्टो के अनुसार इसी हफ्ते ट्रंप इस संबंध में कार्यकारी आदेश जारी करेंगे। चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए सीमा पर दीवार बनाने और आतंकवाद से निपटने के लिए मुसलमानों के प्रवेश पर पाबंदी का वादा किया था। इन पर काफी विवाद भी हुआ था।
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया है कि ट्रंप मेक्सिको सीमा पर दीवार के निर्माण का आदेश दे सकते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने की दिशा में उनका पहला कदम होगा। वे ऐसे शरणर्थियों की संख्या में भी कटौती करेंगे जो अमेरिका में बस सकते हैं। साथ ही वह सीरिया और 'आतंक प्रभावित' अन्य देशों के नागरिकों के प्रवेश पर कम से कम अस्थायी तौर पर जरूर पाबंदी लगाएंगे। एबीसी न्यूज के अनुसार कुछ मुस्लिम देशों के लोगों के प्रवेश पर अस्थायी या अनिश्चितकाल के लिए पाबंदी लगाई जा सकती है। योजना से जुड़े सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई है।
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राष्ट्रीय सुरक्षा पर बुधवार को होने वाली बैठक में इस संबंध में फैसले हो सकते हैं। ट्रंप ने खुद इसके संकेत देते हुए ट्वीट किया है, 'राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक बड़े दिन की योजना। बहुत सारी अन्य चीजों के साथ हम दीवार का निर्माण करेंगे।' नेशनल इमिग्रेशन लॉ सेंटर की कार्यकारी निदेशक मारिलेना हिनकेपी ने इस पर चिंता जताते हुए इसे पिछले दरवाजे से मुसलमानों का प्रवेश रोकने की कोशिश बताया है। उन्होंने कहा कि ट्रंप के पहले सौ दिनों अमेरिका में शरण चाहने वाले लोगों के लिए दरवाजे बंद करने के शर्मनाक दिनों के रूप में याद किया जाएगा।
इन देशों से आने पर पाबंदी : सीरिया, इराक, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन।
ये भी संभव
-गोपनीय रहे 'ब्लैक साइट' हिरासत कार्यक्रम को बहाल करने, ग्वांतानामो बे में कारागार को खुला रखने और मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी संगठन घोषित करने की भी योजना है।
-वैध प्रवासियों को भी निशाना बनाए जाने की संभावना है। इसके लिए दशकों से जारी उस कार्यक्रम को ट्रंप रोक सकते हैं जिसके तहत अमेरिका विश्व के सर्वाधिक संवेदनशील और पीडि़त लोगों को शरण देता आया है।
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