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अमेरिका ने पाक से कहा, भारत को NSG की सदस्यता से हथियारों का मतलब नहीं

पाकिस्तान को अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि भारत का NSG सदस्य बनना हथियारों की दौड़ नहीं बल्‍कि नागरिकों के लिए परमाणु उर्जा का इंतजाम है।

By kishor joshiEdited By: Published: Sat, 28 May 2016 11:48 AM (IST)Updated: Sat, 28 May 2016 05:26 PM (IST)
अमेरिका ने पाक से कहा, भारत को NSG की सदस्यता से हथियारों का मतलब नहीं

वाशिंगटन, प्रेट्र। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता की भारत की मजबूत दावेदारी के प्रति पाकिस्तान के असंतोष को अमेरिका ने दूर करने का प्रयास किया है। अमेरिका ने कहा है कि यह हथियारों की प्रतिद्वंद्विता नहीं बल्कि नागरिक इस्तेमाल के लिए परमाणु ऊर्जा के इंतजाम का मामला है। इसके जरिये भारत को जरूरत के मुताबिक यूरेनियम मिल सकेगा।

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अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने आशा जताई कि पाकिस्तान इस वास्तविकता को समझेगा और अपने असंतोष को दूर करेगा। पाकिस्तान का मानना है कि भारत के एनएसजी का सदस्य बनने से क्षेत्र में परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ेगी। टोनर ने कहा कि सन 2015 में भारत के दौरे के समय में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था कि भारत ने मिसाइल तकनीकी नियंत्रण की आवश्यकता को पूरा किया है। इसलिए उसे एनएसजी की सदस्यता मिलनी चाहिए। जल्द ही 48 सदस्यीय एनएसजी की बैठक होने वाली है।

हमें उसमें भारत के सदस्यता प्रस्ताव को लेकर होने वाले मतदान का इंतजार करना चाहिए। टोनर ने कहा कि पाकिस्तान अपने हित वाले कार्य कर सकता है। एनएसजी की सदस्यता के लिए प्रार्थना पत्र देने के लिए हर देश स्वतंत्र है। उस विचार करना और निर्णय लेना समूह का काम है। उल्लेखनीय है कि जून में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान एनएसजी की सदस्यता को लेकर अमेरिका की ओर से महत्वपूर्ण घोषणा हो सकती है।

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आतंकियों से दूर हटे पाकिस्तान

तालिबान प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर को ड्रोन हमले में मार गिराने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान से कहा है कि वह आतंकियों और खासतौर से तालिबान से दूर हटे। मुल्ला मंसूर को पाकिस्तान में ही मारा गया था। अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा कि हम अफगानिस्तान के साथ मजबूती से खड़े हुए हैं। साथ ही पाकिस्तान से अनुरोध करते हैं कि तालिबान का साथ छोड़कर वह भी हमारे साथ आए। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी राजदूत रहे जेम्स बी कनिंघम ने मुल्ला मंसूर के पाकिस्तान में मारे जाने के बाद कहा था कि हम आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाहों को बर्दाश्त नहीं करेंगे और अपने हित के मुताबिक कार्रवाई करेंगे।


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