पाक को एफ-16 देने पर अमेरिकी सांसदों ने भी उठाए सवाल
कहा, आतंकवाद के खिलाफ दोहरा मापदंड अपनाता है इस्लामाबाद, लड़ाकू विमानों की बिक्री पर भारत पहले ही जता चुका है एतराज।
वाशिंगटन। पाकिस्तान को अमेरिका से एफ-16 लड़ाकू विमानों की बिक्री का मामला फंसता नजर आ रहा है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका पर अमेरिकी सांसदों के सवाल के कारण यह स्थिति बनी है। इस बिक्री पर भारत पहले ही एतराज जता चुका है।
हालांकि ओबामा प्रशासन ने भारत के विरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ने में पाकिस्तान को मदद मिलेगी। लेकिन, अमेरिका के दो शीर्ष सीनेटरों की ओर से इस बिक्री पर सवाल उठाने के बाद ओबामा प्रशासन बैकफुट पर है।
अमेरिकी सीनेट की प्रभावशाली विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष बॉब कॉर्कर ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान दोहरा रवैया अपनाता है। वह अभी भी तालिबान, हक्कानी नेटवर्क का समर्थन करता है। अल-कायदा का सुरक्षित पनाहगार बना हुआ है। ऐसे में उसे लड़ाकू विमान देना सुरक्षित नहीं माना जा सकता।
वहीं, सीनेटर पॉल रैंड ने पाकिस्तान को ऐसा देश करार दिया जो कभी दोस्त तो कभी दुश्मन बन जाता है। दोनों रिपब्लिकन सांसदों ने ओबामा प्रशासन पर अमेरिकी करदाता का धन पाकिस्तान को देने का आरोप भी लगाया।
विदेश मंत्रालय की ओर पेश वार्षिक बजट प्रस्तावों पर चर्चा के दौरान कॉर्कर ने विदेश मंत्री जॉन केरी से इस बिक्री को लेकर कई सवाल किए।
उन्होंने कहा, "14 साल से जब से हम अफगानिस्तान में है पाकिस्तान का दोहरा रवैया जारी है। वह एफ-16 खरीदना चाहता है और आधी से ज्यादा खरीद पर 50 फीसद सब्सिडी चाहता है। अफगानिस्तान पर उसके प्रभावों को देखते हुए हमें स्वाभाविक रूप से आतंकवाद के खिलाफ उसके सभी प्रयासों का मूल्यांकन करना होगा। ऐसे में जब तक वह अपना दोहरा रवैया बंद नहीं करता उसे मदद नहीं देनी चाहिए।"
गौरतलब है कि 12 फरवरी को अमेरिकी सरकार ने पाकिस्तान को आठ एफ-16 बेचने को मंजूरी दिए जानकारी दी थी। इसको लेकर दोनों देशों के बीच 699 मिलियन डॉलर का समझौता हुआ है। यह लड़ाकू विमान लॉकहीड मार्टिन बनाती है। जेट राडार और अन्य उपकरणों से लैस इन विमानों की बिक्री रोकने के लिए कांग्रेस के पास 30 दिनों का समय है।
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