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    पाकिस्तान की बढ़ती ताकत से अब अमेरिका चिंतित

    By Atul GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 09 Sep 2016 06:13 PM (IST)

    जैसे-जैसे भारत की ओर से खतरा बढ़ रहा है, वैसे-वैसे पाकिस्तान में परमाणु हथियारों का उत्पादन भी बढ़ रहा है।

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    वाशिंगटन, प्रेट्र। दक्षिण एशिया में प्रभाव बढ़ाने के लिए अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी गई छूट का असर अब उसे भी डराने लगा है। अमेरिका को लगने लगा है कि पाकिस्तान की बढ़ती परमाणु क्षमता उसके हितों के खिलाफ है। संसदीय समिति को दी रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा है कि पाकिस्तान के पास इस समय करीब 120 परमाणु हथियार हैं और उसने प्रति वर्ष 20 हथियार बनाने की क्षमता प्राप्त कर ली है। भारत की सैन्य ताकत के मुकाबले में रहने के लिए पाकिस्तान परमाणु हथियारों का उत्पादन जारी रखे हुए है।

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    कार्नेगी एंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के सहायक निदेशक टॉबी डाल्टन ने हाल के वर्षो में पाकिस्तान ने परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक सामग्री के उत्पादन में बढ़ोत्तरी की है। जैसे-जैसे भारत की ओर से खतरा बढ़ रहा है, वैसे-वैसे पाकिस्तान में परमाणु हथियारों का उत्पादन भी बढ़ रहा है।

    डाल्टन ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा की भी आवश्यकता जताई है। कहा है कि पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था अच्छी है लेकिन इसे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान का उदाहरण सामने है जिसमें उन्होंने तकनीकी को दूसरे देशों को दिया। पाकिस्तानी परमाणु हथियारों को आतंकियों से बड़ा खतरा है।

    अमेरिका की जानकारी में पाक ने बढ़ाया आतंक

    अमेरिका की जानकारी में पाकिस्तान आतंकी संगठनों को पालता-पोसता रहा। उसका परमाणु कार्यक्रम भी अमेरिका की जानकारी में फला-फूला। यह बात बिल क्लिंटन के कार्यकाल के शुरुआती वर्षो (1993-94) में सीआइए की तरफ से पाकिस्तान संबंधी मामलों को देखने वाले अधिकारी रॉबर्ट एल ग्रेनियर ने कही है। उन्होंने माना कि अपने तात्कालिक हितों की पूर्ति के लिए अमेरिका पाकिस्तान की गड़बडि़यों की अनदेखी करता रहा। उसे आर्थिक और सैन्य सहायता देता रहा।

    यह स्थिति करीब पांच दशक तक रही। इस दौरान पाकिस्तान ने सोवियत संघ के हितों पर चोट करने के लिए अफगान मुजाहिदीनों को हथियार और सैन्य प्रशिक्षण दिया। इन्हीं ने अफगानिस्तान से सोवियत फौजों के जाने के बाद तालिबान के रूप में देश पर कब्जा किया। यही वह समय था जब पाकिस्तान ने कश्मीर के लिए अपने धीमे पड़े अभियान को गति दी।

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