ट्रंप का बदला रूख : भारत की चिंताओं का रखा ख्याल
ट्रंप प्रशासन के रुख में बदलाव यह तब आया है जब इन मुद्दों पर बात करने के लिए विदेश सचिव एस जयशंकर वाशिंगटन पहुंचे हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अमेरिका में काम कर रहे भारतीयों के अधिकार व सुरक्षा को लेकर जो चिंताएं पैदा हो रही थी उसे स्वयं ट्रंप ने ही दूर करने की कोशिश की है। अमेरिकी संसद को अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति ट्रंप ने वैसे तो तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी है लेकिन जिन मुद्दों को लेकर भारतीय खेमे में पिछले कुछ दिनों से खलबली मची थी उस पर भी अपने रुख में बदलाव के साफ संकेत दिए हैं। ट्रंप प्रशासन के रुख में बदलाव यह तब आया है जब इन मुद्दों पर बात करने के लिए विदेश सचिव एस जयशंकर वाशिंगटन पहुंचे हैं।
अमेरिका में कार्यरत भारतीय पहले से ही ट्रंप प्रशासन की तरफ से सख्त आव्रजन नीतियों और एच-1बी वीजा पर प्रतिबंध लगाने को लेकर परेशान थे। पिछले शुक्रवार को कराकांस शहर में आइटी क्षेत्र में कार्यरत दो भारतीयों (आंध्र प्रदेश के श्रीनिवास कुशिभोटला व अशोक मदासानी) की हत्या के बाद इनके बीच और भय का वातावरण बन गया था। इन सभी मुद्दों पर ट्रंप ने कांग्रेस को संबोधित करते हुए अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कराकांस हत्याकांड को नस्लीय नफरत से भरे अपराध (हेट क्राइम) मानते हुए इसकी निंदा की है। ट्रंप के अभिभाषण से पहले राष्ट्रपति भवन के औपचारिक प्रेस कांफ्रेंस में भी अराकांस कांड पर क्षोभ जताया गया।
ट्रंप के अभिभाषण के बाद भारत एच-1बी वीजा के मुद्दे पर भी थोड़ी राहत की सांस ले सकता है। राष्ट्रपति बनने से पहले और हाल तक इस मुद्दे पर बेहद सख्त रुख रखने वाले ट्रंप ने पहली बार यह कहा है कि वह प्रवासियों के अमेरिका आने संबंधी नियम पर वह समझौता करने को तैयार हैं। खास तौर पर ट्रंप ने गुणवत्ता पर आधारित आव्रजन प्रणाली लागू करने की आवश्यकता बताई है। इससे अमेरिकी हितों को नुकसान न पहुंचेगा। लेकिन माना जा रहा है कि इस बदलाव से सबसे ज्यादा भारत जैसे देश को ही लाभ मिलेगा जो अमेरिका की तरफ से दिए जाने वाले उच्च पेशेवर वीजा (एच-1बी) का 90 फीसद हिस्सा हासिल करता है। यही नहीं भारत से अमेरिका आने वालों में बड़ी संख्या वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, इंजीनियरों और अन्य उच्च तकनीक वाले पेशेवरों की होती है जो ट्रंप के रुख में आये बदलाव से लाभान्वित हो सकते हैं।
मजेदार तथ्य यह है कि ट्रंप प्रशासन की तरफ से भारत की उक्त दोनों चिंताओं को तब दूर करने की कोशिश की गई है जब विदेश सचिव जयशंकर वाशिंगटन बुधवार देर शाम तक पहुंच रहे हैं। जयशंकर के एजेंडे में एच-1बी वीजा और भारतीयों की सुरक्षा दो सबसे अहम मुद्दे थे लेकिन अब अमेरिका ने इन दोनों मुद्दों पर भारत की चिंताओं को परोक्ष तौर पर जायज ठहराते हुए समाधान निकालने की पेशकश की है। एक दिन पहले ही भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इस बात के संकेत दिए थे कि अमेरिकी रूख में बदलाव आना तय है। अब माना जा रहा है कि जयशंकर ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के साथ अब द्विपक्षीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर वार्ता करेंगे। इसमें परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश का मुद्दा भी होगा। इसके अलावा भविष्य में होने वाले रक्षा सौदों पर भी वार्ता होगी।
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