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    स्मार्ट इलेक्ट्रिक बस: मात्र 15 सेकेंड की चार्जिंग में तय करेगी 2 किमी की दूरी

    By Monika minalEdited By:
    Updated: Wed, 05 Oct 2016 12:17 PM (IST)

    स्मार्ट टेक्नोलॉजी के आने के बाद बदलाव देखा जा रहा है। जेनेवा ने स्मार्ट पब्लिक ट्रांसपोर्ट को लागू करने का फैसला किया है।

    जेनेवा(जेएनएन)। जेनेवा के पब्लिक ट्रांसपोर्ट का चेहरा 2017 में बदल जाएगा क्योंकि इस सर्विस में नई बसों को लाया जा रहा है जो पर्यावरण की मित्र होगी। इन बसों की खासियत ये है कि महज15 सेकेंड की चार्जिंग में ये बसें दो किमी की दूरी तय करेंगी।

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    क्या है खासियत ?

    यूरोप के दूसरे शहरों की इलेक्ट्रिक ट्रॉली बसों की तरह दिखने वाली इन बसों की छत के साथ लगे रिसेप्टेकल (दराजों) को आपस में मूविंग आर्म जोड़ता है जो बस टर्मिनल के साथ इंटीग्रेटेड है। जिस रुट में यह सर्विस शुरू होगी वहां 13 फ्लैश चार्जिंग स्टेशन शामिल हैं। प्रत्येक स्टेशन पर बस 15 सेकेंड के लिए चार्ज होगी और अगले स्टेशन तक जाने के लिए 600 किलोवाट की पर्याप्त ऊर्जा देगी। इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद डीजल बसों की तुलना में हर साल 1000 टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा।

    2018 तक आएगी स्मार्ट बस

    इस 15 सेकेंड के चार्ज में 600 किलोवाट की एनर्जी मिलेगी, जो 130 से अधिक सवारियों के साथ 2 किमी की दूरी तय करने के लिए पर्याप्त होगी। इन बसों को फुल चार्ज करने के लिए 4-5 मिनटों का समय लगता है। 2018 में जेनेवा के रूट नंबर 23 पर ये बसें दौड़ेंगी। इसमें एक दिन में 10,000 पैसेंजर्स को बैठाया जा सकता है।इन बसों के आ जाने के बाद जेनेवा एक साल में 1,000 टन कार्बनडाईऑक्साइड बचाएगा।

    स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को मिलेगी मदद

    भारत के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का दसवां हिस्सा ट्रांसपोर्ट है और इसमें से 95 फीसद हिस्सा सड़क यातायात का है। भारत के पास 150,000 डीजल बसें हैं यदि इन सबको इलेट्रिक बसों से रिप्लेस कर दिया जाए तो एक साल में 3.7 मिलियन टन कार्बन डाई ऑक्साइड को कम किया जा सकता है। इस टेक्नोलॉजी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को काफी मदद मिलेगी। साथ ही पेरिस जलवायु समझौते में भारत 2030 तक 33 फीसद कार्बन डाइ ऑक्साइड को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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