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    जल्द ही बन जाएगा कालाजार का टीका

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    Updated: Tue, 15 Jan 2013 06:30 PM (IST)

    सिडनी। मलेरिया के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें कालाजार (काला बुखार) से होती हैं पर संभव है कि आने वाले समय में इस पर काबू पा लिया जाएगा। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वह जल्द ही इस महामारी का टीका विकसित कर लेंगे।

    सिडनी। मलेरिया के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें कालाजार (काला बुखार) से होती हैं पर संभव है कि आने वाले समय में इस पर काबू पा लिया जाएगा। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वह जल्द ही इस महामारी का टीका विकसित कर लेंगे।

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    टेलीथॉन इंस्टीट्यूट फॉर चाइल्ड हेल्थ रिसर्च में प्रोफेसर जेनीफर ब्लैकवेल ने बताया कि वैज्ञानिकों ने भारत और ब्राजील में इसके मरीजों के जीनोम का परीक्षण किया है। इसी के आधार पर निकट भविष्य में टीका विकसित करने का दावा किया गया है। कालाजार धीरे-धीरे फैलने वाला रोग है। सैंडफ्लाइ मक्खियां इस घातक परजीवी की वाहक होती हैं, जिसे जीनस लिस्मैनिएसिस के नाम से भी जाना जाता है। काला बुखार का परजीवी शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करता है। इसका सबसे ज्यादा असर लिवर, प्लीहा और मेरू रज्जा पर पड़ता है और यदि समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।

    नेचर जेनेटिक्स पत्रिका के मुताबिक, सबसे ज्यादा भारत, बांग्लादेश, नेपाल, सूडान, दक्षिणी सूडान, इथोपिया और ब्राजील के लोग इसकी चपेट में आते हैं। अनुमान है कि प्रतिवर्ष करीब एक करोड़ 20 लाख लोग कालाजार का शिकार बनते हैं और हर साल करीब 15 लाख नए लोग इसकी चपेट में आते हैं।

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