बैक्टीरिया भी करते हैं सोशल नेटवर्किंग
सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यह सच है। एक अध्ययन में पाया गया है कि बैक्टीरिया भी एक-दूसरे के साथ संवाद स्थापित करते हैं। इस संवाद के जरिए ही वे म ...और पढ़ें

लंदन। सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यह सच है। एक अध्ययन में पाया गया है कि बैक्टीरिया भी एक-दूसरे के साथ संवाद स्थापित करते हैं। इस संवाद के जरिए ही वे मनुष्य समेत अन्य प्रजातियों को अपनी चपेट में लेने में सक्षम होते हैं।
वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि संक्रमण फैलाने के वक्त बैक्टीरिया एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं। इस खोज से इस बात का पता लगाने में सफलता मिलेगी कि जानवरों की बीमारियां मनुष्यों को कैसे संक्रमित करती हैं। बैक्टीरिया माहौल में ढलने के लिए कुछ अणु मुक्त करते हैं और इसी के जरिए एक-दूसरे से संपर्क करते हैं।
वैज्ञानिकों का तर्क :-
वैज्ञानिकों ने कहा कि ऐसे बैक्टीरिया जो अपने पनपने के लिए वातावरण बनाने के लिए एक-दूसरे का सहयोग करने में सक्षम होते हैं, वे मनुष्य समेत बहुत सी प्रजातियों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इस खोज के जरिए ऐसी बीमारियों को वर्गीकृत करना आसान होगा जो ज्यादा प्रजातियों को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं। ऐसी बीमारियां मनुष्यों को आसानी से प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे वर्गीकरण से स्वास्थ्य संबंधी खतरों को पहचानने और उनसे निपटने में आसानी होगी। मनुष्यों में पाए गए नए संक्रमणों में से ज्यादातर ऐसी बीमारियों से फैले हैं जो कि जानवरों से मनुष्यों में आई हैं। इनमें एंथ्रेक्स और सुपरबग एमआरएसए जैसे बेहद गंभीर और कठिनाई से नियंत्रित होने वाले संक्रमण शामिल हैं। यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग की अगुवाई में करीब 200 बैक्टीरिया के जेनेटिक कोड के विश्लेषण के जरिए किया गया।

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