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    इराक में मलिकी को हटाने की मुहिम हुई तेज

    By Edited By:
    Updated: Mon, 07 Jul 2014 05:25 PM (IST)

    इराक के उत्तरी और पश्चिमी इलाकों पर कब्जा जमाने के बाद सुन्नी आतंकी संगठन आइएसआइएस के कदम थम गए हैं। इसके साथ ही देश में प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी को हटाने और आतंकियों के हाथों गंवाए इलाके वापस हासिल करने की मुहिम तेज हो गई है। प्रभावशाली शिया मौलवी मुक्तदा अल सद्र ने गठबंधन सरकार में शामिल लोगों से अपील की है

    बगदाद। इराक के उत्तरी और पश्चिमी इलाकों पर कब्जा जमाने के बाद सुन्नी आतंकी संगठन आइएसआइएस के कदम थम गए हैं। इसके साथ ही देश में प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी को हटाने और आतंकियों के हाथों गंवाए इलाके वापस हासिल करने की मुहिम तेज हो गई है। प्रभावशाली शिया मौलवी मुक्तदा अल सद्र ने गठबंधन सरकार में शामिल लोगों से अपील की है कि वे तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री बनने की कोशिश कर रहे मलिकी की जगह किसी अन्य को चुनें। सद्र की इस अपील के बाद मलिकी के खिलाफ अभियान तेज हो गया है। उन्होंने एक वेबसाइट पर दिए बयान में कहा, सुरक्षा बलों और राजनेताओं के साथ मलिकी का लंबे समय से विवाद चल रहा है। वह देश को सुरक्षित माहौल देने में असफल रहे हैं। इसलिए उन्हें तीसरी बार प्रधानमंत्री न बनने दिया जाए।

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    राजनेताओं को इस समय व्यक्तिगत सोच से ऊपर उठकर मुल्क के बारे में सोचना चाहिए। वे किसी ऐसे नेता को आगे आने का मौका दें जो सभी धर्म और संप्रदायों को साथ लेकर चले। सद्र ने अमेरिकी हमले के बाद विदेशी फौज के खिलाफ अभियान चलाकर ख्याति अर्जित की थी। इससे पहले उन्होंने मांग की थी कि मलिकी के गठबंधन स्टेट ऑफ लॉ के बाहर से कोई प्रधानमंत्री बनाया जाए। इस गठबंधन में सभी बड़े शिया दल और मलिकी के विरोधी तक शामिल हैं। शिया राजनीतिक दल अल अहरार के महासचिव धिया अल असादी ने भी सद्र के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि हम मलिकी के अलावा किसी भी प्रत्याशी को समर्थन करने के लिए तैयार हैं। अमेरिका, ईरान, संयुक्त राष्ट्र समेत सभी शिया मौलाना राजनेताओं से अपील कर चुके हैं कि वे आपसी मतभेद भुलाकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ें।

    मलिकी के विरोधी उन्हें वर्तमान संकट के लिए जिम्मेदार मानते हैं। इराकी संसद का मंगलवार को सत्र आयोजित किया गया है। इसमें स्पीकर, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री चुनने की कोशिश की जाएगी।

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