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    आतंक के खिलाफ लड़ाई में फ्रांस और रूस ने बढ़ाया दोस्ती का हाथ

    राजनीति में ना कोई स्थायी दोस्त होता है ना कोई स्थायी दुश्मन। जरूरतों के मुताबिक मुल्क अपने रिश्तों की नई कहानी लिखते हैं। पेरिस में आतंकी हमलों के बाद फ्रांस और रूस के बीच एक नए संबंधों का शुरुआत हुई है। संभवत: विश्वयुद्ध-2 के बाद ये पहला मौका है, जब

    By Lalit RaiEdited By: Updated: Wed, 18 Nov 2015 10:45 AM (IST)

    नई दिल्ली। राजनीति में न कोई स्थायी दोस्त होता है ना कोई स्थायी दुश्मन। जरूरतों के मुताबिक मुल्क अपने रिश्तों की नई कहानी लिखते हैं। पेरिस में आतंकी हमलों के बाद फ्रांस और रूस के बीच एक नए संबंधों का शुरुआत हुई है। संभवत: विश्वयुद्ध-2 के बाद ये पहला मौका है, जब फ्रांस और रूस दोनों एक-दूसरे के इतना करीब आए हैं।आतंकवाद के सफाए के लिए दोनों देशों ने साझा अभियान चलाने का फैसला किया है। इस कड़ी में फ्रांस और रूस ने आईएसआईएस के गढ़ सीरिया के रक्का शहर में जबरदस्त बमबारी की।

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    रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भूमध्यसागर में अपनी नेवी को आदेश दिया है कि वो फ्रेंच नेवी के साथ मिल कर आईएस के खिलाफ अभियान चलाएं। इसके अलावा दोनों देशों ने एक साझा रणनीति बनाने पर जोर दिया। फ्रांस ने भूमध्य सागर में एयरक्राफ्ट कॅरियर चार्ल्स डी गौले को तैनात किया है।

    फ्रेंच राष्ट्रपति ओलांद और पुतिन के बीच आपसी बातचीत के बाद आईएस के खिलाफ सैन्य और खुफिया सहयोग बढ़ाने पर बल दिया गया।

    इससे पहले पुतिन ने साफ कर दिया था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में रूस किसी तरह का भेदभाव नहीं करेगा। उन्होंने पश्चिमी देशों से आईएस को नेस्तनाबूद करने की अपील की ।