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    पुतिन के करीबी टिलरसन होंगे अमेरिकी विदेश मंत्री

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Tue, 13 Dec 2016 10:40 PM (IST)

    अमेरिका में मंत्री पद की प्रत्येक नियुक्ति पर सीनेट की मुहर जरूरी है। हालांकि 1989 के बाद से सीनेट ने किसी भी मंत्री की नियुक्ति खारिज नहीं की है।

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    वाशिंगटन, प्रेट्र/रायटर : 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने रेक्स टिलरसन को विदेश मंत्री के तौर पर चुना है। दुनिया की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनी एक्सॉनमोबिल के 64 वर्षीय सीईओ टिलरसन के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से काफी करीबी संबंध हैं। रूस से नजदीकियों के कारण कई सीनेटर उनका खुलकर विरोध कर चुके हैं। ऐसे में उनके नाम की सीनेट से पुष्टि कराने में ट्रंप को मुश्किल हो सकती है। अमेरिका में मंत्री पद की प्रत्येक नियुक्ति पर सीनेट की मुहर जरूरी है। हालांकि 1989 के बाद से सीनेट ने किसी भी मंत्री की नियुक्ति खारिज नहीं की है।

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    ट्रंप ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि टिलरसन की दृढ़ता, व्यापक अनुभव और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीति की गहरी समझ उन्हें विदेश मंत्री पद के लिए उत्कृष्ट पसंद बनाती है। औपचारिक तौर पर टिलरसन को भी ट्रंप की तरह विदेश नीति का कोई अनुभव नहीं है। लेकिनख् एक कारोबारी के तौर पर दूसरे देशों के नेताओं के साथ बातचीत का उन्हें व्यापक अनुभव है। इसी अनुभव के आधार पर ट्रंप ने उन्हें विश्वस्तरीय हस्ती बताते हुए कहा कि तेल उद्योग की रुपरेखा तय करने वाले जटिल बातचीत का टिलरसन का अनुभव अमेरिकी कूटनीति और विदेश मंत्रालय के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।

    रूस ने टिलरसन को बेहद पेशेवर और मजबूत शख्सियत बताते हुए नियुक्ति का स्वागत किया है। शुरुआत में रूस से करीबी ही उनके राह की सबसे बड़ी बाधा बताई जा रही थी। लेकिन, मैसाचुसेट्स के पूर्व गवर्नर मिट रोमनी ने दौड़ से हटने का एलान कर उनका रास्ता आसान कर दिया। रोमनी के अलावा सीनेट की विदेश मामलों की समिति के प्रमुख बॉब कॉर्कर, सीआइए के पूर्व महानिदेशक डेविड पेट्रॉयस और न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर रुडी गुलियानी भी विदेश मंत्री बनने की दौड़ में थे। सीएनएन ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पूर्व विदेश मंत्रियों कोंडलिजा राइस और जेम्स बेकर एवं पूर्व रक्षा मंत्री बॉब गेट्स ने ट्रंप से टिलरसन के नाम की सिफारिश की थी। जानकारों का मानना है कि उनके चुनाव से ट्रंप ने तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक को यह संकेत देने की कोशिश की है कि तेल कारोबार अमेरिकी विदेश नीति की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।

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    कौन हैं टिलरसन?

    64 वर्षीय टिलरसन सीनेट की मंजूरी मिलने के बाद जॉन केरी की जगह लेंगे। वे 2006 से टेक्सास की तेल कंपनी एक्सॉनमोबिल के सीईओ हैं। 50 देशों में इस कंपनी का कारोबार है। 2013 में रूस ने उन्हें ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप से सम्मानित किया था।

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    मजबूती

    -एक्सॉनमोबिल की तरफ से यूरेशिया और पश्चिमी एशिया में बड़े समझौते करके टिलरसन ने दुनिया के कई नेताओं के साथ करीबी संबंध स्थापित कर रखे हैं। इनमें रूस जैसे ऐसे देश भी हैं जिनके साथ अमेरिका के मधुर संबंध नहीं रहे हैं।

    -तेल कंपनियों को विदेशों में बहुत ही नपी तुली कूटनीतिक नीतियां अपनानी होती हैं। इस क्षेत्र में टिलरसन ने उल्लेखनीय सफलता हासिल कर रखी है। रूस जैसे देशों के साथ संबंध बेहतर बनाने में उनका यह कौशल कारगर साबित हो सकता है।

    -ट्रंप की ही तरह कारोबारी पृष्ठभूमि है। दुनिया को लेकर भी दोनों का नजरिया समान है। मुक्त व्यापार और मध्य-पूर्व में अमेरिकी उपस्थिति बढ़ाने के पैराकार रहे हैं।

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    कमजोरी

    -बहुराष्ट्रीय तेल कंपनी के लिए सालों तक रूस और पश्चिम एशिया में काम करने के कारण टिलरसन के मनोनयन की सीनेट द्वारा गहन जांच की जा सकती है। 2014 में रूस पर अमेरिकी और अन्य पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का खुलकर विरोध भी किया था।

    -सीआइए ने बीते दिनों राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हस्तक्षेप के संकेत दिए थे। मीडिया रिपोर्टो के अनुसार खुफिया एजेंसी ने कुछ लोगों की पहचान की है जिनके रूसी सरकार से संपर्क हैं। माना जाता है कि इन्हीं लोगों ने डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े हजारों ई-मेल रूस को मुहैया कराए थे जिसे चुनाव के दौरान विकीलीक्स ने सार्वजनिक किए।

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    मुलाकात के लिए पुतिन तैयार

    रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वे डोनाल्ड ट्रंप से किसी भी समय मुलाकात के लिए तैयार हैं। ट्रंप के शपथ लेने के बाद बैठक की संभावना जताते हुए कहा कि इसमें रूस की ओर से कोई अड़चन नहीं है। पुतिन ने कहा कि ट्रंप सार्वजनिक तौर पर रूस-अमेरिका संबंधों को सामान्य करने की इच्छा जता चुके हैं। यह आसान काम नहीं है, लेकिन इसमें मदद के लिए हम पूरी तरह तैयार हैं।