जब फिसली राष्ट्रपति ओबामा की जुबान तो PM मोदी को बना दिया...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की जुबान फिसल गई। उन्होंने मोदी को राष्ट्रपति कहकर संबोधित कर दिया। व्हाइट हाउस की ओर से जारी वीडियो में ओबामा की यह गलती साफ सुनी जा सकती है। वे कह रहे हैं, हम स्वच्छ ऊर्जा के प्रति राष्ट्रपति
न्यूयॉर्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की जुबान फिसल गई। उन्होंने मोदी को राष्ट्रपति कहकर संबोधित कर दिया।
व्हाइट हाउस की ओर से जारी वीडियो में ओबामा की यह गलती साफ सुनी जा सकती है। वे कह रहे हैं, हम स्वच्छ ऊर्जा के प्रति राष्ट्रपति मोदी के आक्रामक रुख से प्रोत्साहित हैं।
हालांकि बाद में इन ट्रांस्क्रिप्ट जारी की गई, जिसमें भूल को सुधार दिया गया।
मालूम हो, प्रधानमंत्री मोदी अपनी अमेरिका यात्रा के आखिरी दिन न्यूयॉर्क में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिले। इस दौरान दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से एक दूसरे को गले लगाया। पीएम मोदी ने सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए अमेरिका का आभार जताया। मोदी ने कहा कि हमारे बीच में आतंकवाद को लेकर चर्चा हुई। साथ ही दोनों देशों के बीच बिजनेस के संबंध में महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक बातचीत हुई।
उन्होंने कहा कि हमारे बीच सकारात्मक बात हुई। दोनों नेताओं के बीच प्रतिनिधि मंडल स्तर की इस वार्ता में पीएम ने कहा कि हरिज ऊर्जा को सभी तक पहुंचाना हमारी प्रतिबद्धता। अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने भारत के साथ बातचीत को उत्साहजनक करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत के साथ हमारी साझेदारी व सहयोग सकारात्मक दिशा में है। साथ ही ओबामा ने कहा कि यह उचित अवसर है दोनों देशों के साझा हितों को परिभाषित करना। यही नहीं इससे पहले नेताओं से मिलने के क्रम में पीएम मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से मुलाकात की है। इस दौरान मोदी अन्य नेताओं से भी मिलेंगे।
पीएम मोदी का दुनिया के कई देशों के नेताओं के साथ मिलने का कार्यक्रम है, जिसमें कतर के अमीर हमाद बिन खलीफा अल थानी, मैक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पेना नीटो और फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास शामिल हैं।
पीएम मोदी और ओबामा की मुलाकात के दौरान इसमें कुछ अहम मुद्दों को सुलझाने की कोशिश होगी। एक साल की अवधि में दोनों नेताओं के बीच तीन बार बातचीत हो चुकी है। हालांकि इस बार भारत कुछ सतर्कता के साथ बातचीत आगे बढ़ाएगा, क्योंकि अमेरिका में वर्ष 2016 में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। उम्मीद है कि वार्ता में व्यापार व निवेश से जुड़े मुद्दों को तरजीह दी जाएगी। भारत व अमेरिका के बीच वीजा विवाद को सुलझाना मोदी की प्राथमिकताओं में शुमार होगा।
सूत्रों के मुताबिक, भारत अमेरिका के समक्ष एच-1बी पेशेवर वीजा के शुल्क को कम करने के लिए मजबूत दावा पेश कर सकता है, जिसका सबसे बड़ा फायदा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को मिलेगा। जहां एच-1बी वीजा की लागत 2,000 डॉलर है तो वहीं एल-1 वीजा के लिए 2,250 डॉलर लगते हैं।
दूसरी ओर, अमेरिका भी भारत के सामने एक मजबूत बौद्घिक संपदा अधिकार नीति का मजमून पेश कर सकता है, जिसको लेकर भारत में काम कर रही अमेरिकी कंपनियों की अरसे से शिकायत रही है। साथ ही अमेरिका भारत से दोनों देशों के दरमियान मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को आगे बढ़ाने के लिए वार्ता शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए कह सकता है। भारत व अमेरिका ने वर्ष 2020 तक दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है, जो अभी 100 अरब डॉलर है।