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    132 मासूमों के कत्‍लेआम के बाद जागा पाक करेगा तालिबान का सफाया

    By manoj yadavEdited By:
    Updated: Thu, 18 Dec 2014 05:58 AM (IST)

    132 बच्चे। 132 ताबूत। 264 माता-पिता। और, वे सैकड़ों बच्चे जो तालिबानी हमले में बच तो गए लेकिन वे जिंदगी भर ये सोचकर सदमे से उबर नहीं सकेंगे कि उनके दोस्तों को सिर्फ इसलिए मार दिया गया कि कुछ सिरफिरों का आतंक देश और दुनिया में बना रहे। पेशावर के

    पेशावर। 132 बच्चे। 132 ताबूत। 264 माता-पिता। और, वे सैकड़ों बच्चे जो तालिबानी हमले में बच तो गए लेकिन वे जिंदगी भर ये सोचकर सदमे से उबर नहीं सकेंगे कि उनके दोस्तों को सिर्फ इसलिए मार दिया गया कि कुछ सिरफिरों का आतंक देश और दुनिया में बना रहे। पेशावर के आर्मी स्कूल में 132 बच्चों ने शहीद होकर आखिर पाकिस्तान सरकार को जगा ही दिया। यही वजह रही कि बुधवार को प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को कहना पड़ा कि आतंकियों के सफाए का अभियान आखिरी आतंकी के बचने तक चलता रहेगा। बच्चों की कुर्बानियां व्यर्थ नहीं जाएंगीं। उन्होंने पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत पूरे इलाके से आतंकवाद का सफाया करने का एलान किया। इसके लिए एक हफ्ते में राष्ट्रीय योजना बनेगी। आतंकियों के खिलाफ कठोर कदम उठाते हुए उन्होंने देश में फांसी की सजा भी बहाल कर दी। आतंक की खेती कर रहे पाकिस्तान में 2008 से फांसी की सजा पर रोक थी।

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    इस बीच, बुधवार को आर्मी स्कूल के सात और घायल कर्मचारियों की मौत के बाद इनकी संख्या 16 हो गई। मारे गए बच्चों समेत ये आंकड़ा 148 तक जा पहुंचा है। तीन दिन के राष्ट्रीय शोक के बीच बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हमले में मारे गए बच्चों और स्कूल स्टॉफ को शहीद का दर्जा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मंगलवार रात फोन पर हुई बातचीत के बाद शरीफ ने बुधवार को कहा कि सिर्फ पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही नहीं, पूरे इलाके से आतंकवाद का सफाया होना चाहिए। इसके लिए मुकम्मल रोडमैप तैयार करेंगे।

    अफगानिस्तान में बैठा फजलुल्ला है मास्टरमाइंड, पाक ने मांगा

    पेशावर के आर्मी स्कूल में दरिंदगी का मास्टरमाइंड अफगानिस्तान में बैठा मुल्ला फजलुल्ला है। वर्ष 2013 में इसी ने तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का गठन किया था। अब पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान से इसे सौंपने की मांग की है। पाकिस्तान ने चेतावनी दी कि अगर अफगानिस्तान समय रहते ऐसा नहीं कर पाया तो वह सैन्य कार्रवाई समेत सभी विकल्पों पर विचार करेगा। फजलुल्ला के प्रत्यर्पण के लिए पाकिस्तान के सेना प्रमुख राहिल शरीफ बुधवार को अफगानिस्तान पहुंचे। वह वहां छुपे आतंकियों को खत्म करने के लिए अफगानिस्तान की सेना का सहयोग मांगेंगे।

    एक कबीले के हैं मलाला और फजलुल्ला

    यह विडंबना ही है कि 132 बच्चों की बर्बर हत्या का हुकुम देने वाले मुल्ला फजलुल्ला और बाल शिक्षा की मसीहा मलाला यूसुफजईं एक ही कबीले के हैं। फजलुल्ला उर्फ रेडियो मुल्ला ने ही मलाला के सिर में गोली मारने का भी आदेश दिया था। 40 साल के इस दुर्दांत आतंकी का असली नाम फजल हयात। ये यूसुफजई कबीले का है। ये पश्तो समुदाय का वही परंपरागत कबीला है जिसका उपनाम मलाला इस्तेमाल करती है।

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