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    एमटीसीआर की सदस्यता लेने की जुगत में पाकिस्तान

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Fri, 13 Jan 2017 05:22 AM (IST)

    मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एमटीसीआर के महानिदेशक हैम सांग वूक के नेतृत्व में हाल में एक टीम ने इस्लामाबाद का दौरा किया था।

    इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान ने मिसाइल तकनीक नियंत्रण संधि (एमटीसीआर) की सदस्यता हासिल करने की कोशिश तेज कर दी है। पाक अधिकारियों ने एमटीसीआर के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि पाकिस्तान दक्षिण एशिया में जारी हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं होना चाहता। भारत पहले ही इसकी सदस्यता हासिल कर चुका है। चीन अब भी कतार में है। पाकिस्तान ने नाम लिए बगैर भारत पर क्षेत्रीय स्थायित्व के लिए खतरा उत्पन्न करने का आरोप भी लगाया है।

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    मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एमटीसीआर के महानिदेशक हैम सांग वूक के नेतृत्व में हाल में एक टीम ने इस्लामाबाद का दौरा किया था। पाकिस्तान की अतिरिक्त विदेश सचिव तसनीम असलम ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त करने की कोशिश की कि उनका देश विनाशक हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में पाकिस्तान की साख का भी हवाला दिया। लेकिन, हथियार प्रसार में पाकिस्तान की संदिग्ध भूमिका को देखते हुए एमटीसीआर की सदस्यता मुश्किल बताई जा रही है। पाकिस्तानी वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान पर कई देशों को परमाणु तकनीक बेचने का आरोप है।

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    पाकिस्तान ने एमटीसीआर के सदस्यों को दक्षिण एशिया में मिसाइल सुरक्षा कार्यक्रम और अंतर-महाद्वीपीय मिसाइल पर आगाह किया है। भारत की ओर इशारा करते हुए इस्लामाबाद ने इसे क्षेत्रीय स्थायित्व के लिए खतरा बताया है। भारत एकमात्र क्षेत्रीय शक्ति है, जो अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करने में सफल रहा है।

    क्या है एमटीसीआर

    एमटीसीआर की स्थापना अप्रैल, 1987 में जी-7 देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका ने की थी। अब भारत समेत इसके कुल 35 सदस्य हैं। इसके प्रावधानों के तहत गैर सदस्य देशों को पांच सौ किलोग्राम विस्फोटकों के साथ तीन सौ किलोमीटर या उससे अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम खतरनाक मिसाइलों, अन्य हथियारों या उपकरणों का निर्यात नहीं किया जा सकता। इनमें मानवरहित विमान यानी ड्रोन भी शामिल हैं।

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