पाक सैन्य अदालतों को 2 साल के बाद किया जाएगा बंद
सैन्य अदालतों को दो साल बाद किए जाने का फैसला किया है,सैन्य कोर्ट का निर्माण उग्रवादियों की त्वरित सुनवाई के लिए स्थापित किए गया था।
इस्लामाबाद,पीटीआई। पाकिस्तान में दुर्दात आतंकियों के मामलों की सुनवाई के लिए गठित सैन्य अदालतें शनिवार को बंद हो गईं। इन अदालतों ने महज दो साल में 161 आतंकियों से जुड़े मामलों की सुनवाई करके उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। पेशावर में सैनिक स्कूल पर आतंकी हमले में 150 बच्चों के मारे जाने के बाद इन अदालतों को पुनर्जीवित किया गया था।
इसके लिए 16 दिसंबर, 2014 को कानून में संशोधन किया गया था। पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठनों ने अदालत की सुनवाई और दंड देने की प्रक्रिया पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कई बार निंदा की थी। इस तरह की अदालतों और उनके सुनवाई के तरीके को उन अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन बताया था जिनमें सरकार ने मानवाधिकारों और व्यक्ति को निष्पक्ष न्याय दिलाने का वचन दिया था।
भारी विरोध को देखते हुए संसद ने सन 2015 में इन अदालतों के दो साल में स्वत: खत्म होने का प्रस्ताव पारित किया था। हालांकि शनिवार को अदालतों को बंद करने के संबंध में न तो सरकार ने कोई बयान दिया और न ही सेना ने कोई परिपत्र जारी किया है।
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सैन्य अदालत ने अप्रैल 2015 में मौत की पहली सजा का एलान किया था जबकि 28 दिसंबर, 2016 को अदालत ने आखिरी बार सजा सुनाई। दो साल में अदालत ने कुल 275 मामलों की सुनवाई की और इनमें 161 दोषी आतंकियों को मौत की सजा सुनाई लेकिन अभी तक इनमें से 12 को ही फांसी दी जा सकी है।
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अदालत ने विभिन्न मामलों में 116 आतंकियों को विभिन्न समयावधि की सजा दी है। उम्रकैद पाए आतंकियों की बड़ी संख्या है। जिन संगठनों के आतंकियों पर कार्रवाई हुई है उनमें अल कायदा, तहरीक एक तालिबान पाकिस्तान, जमातुल अहरार, तोहीदवाल जिहाद ग्रुप, जैश ए मुहम्मद, हरकत उल जिहाद ए इस्लामी, लश्कर ए झांगवी और सिपह ए साहिबा हैं। पेशावर के सैनिक स्कूल के साजिशकर्ताओं पर मुकदमा चलाकर उन्हें फांसी दी जा चुकी है।
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