पाक आयोग की यात्रा से मुकदमे पर असर नहीं
मुंबई हमलों [26/11] की जांच के सिलसिले में भारत में चार गवाहों के बयान दर्ज करके लौटे पाकिस्तानी आयोग की यात्रा का यहां पर चल रही सुनवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह कहना है लश्कर कमांडर जकीउर रहमान लखवी के वकील ख्वाजा हारिस अहमद का।
लाहौर। मुंबई हमलों [26/11] की जांच के सिलसिले में भारत में चार गवाहों के बयान दर्ज करके लौटे पाकिस्तानी आयोग की यात्रा का यहां पर चल रही सुनवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह कहना है लश्कर कमांडर जकीउर रहमान लखवी के वकील ख्वाजा हारिस अहमद का। उल्लेखनीय है कि 26/11 मामले में रावलपिंडी की अदियाला जेल में लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशनल कमांडर जकीउर रहमान लखवी समेत सात संदिग्धों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है।
वकील ने कहा, 'हम निराश होकर लौटे हैं। यदि हमें पता होता कि आयोग के सदस्यों को गवाहों से पूछताछ की अनुमति नहीं दी जाएगी, तो हम भारत जाने का प्रस्ताव ठुकरा देते।' उन्होंने दावा किया कि आयोग के दौरे का मुकदमे की सुनवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अहमद ने कहा,' पाकिस्तानी अभियोजक भी इस यात्रा के परिणाम से संतुष्ट नहीं हैं। हममें से किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह कदम निरर्थक साबित होगा।'
आठ सदस्यीय न्यायिक आयोग पिछले हफ्ते मुंबई आया था। आयोग ने इस हमले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी, एकमात्र जिंदा हमलावर अजमल कसाब का बयान दर्ज करने वाले मजिस्ट्रेट, मृत आतंकवादियों और घटना में मारे गए लोगों का पोस्टमार्टम करने वाले दो डॉक्टरों का बयान रिकॉर्ड किया था। आयोग बुधवार शाम स्वदेश लौट आया था।
नाम उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर एक भारतीय अधिकारी ने कहा, 'आयोग की भारत यात्रा के समझौते के तहत स्पष्ट कर दिया गया था कि गवाहों से जिरह की इजाजत नहीं दी जाएगी। साथ ही यह भी बता दिया गया था कि आयोग को कसाब से मिलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।' अहमद ने कहा,'यदि दोनों सरकारों ने समझौते पर हस्ताक्षर किया था तो भी कानून के तहत इसका कोई महत्व नहीं है। बिना जिरह के गवाहों का बयान कैसे लाभप्रद हो सकता है?'
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