पूर्वी पाक में हिंदुओं के नरसंहार पर चुप रहे थे निक्सन
वर्ष उन्नीस सौ इकहत्तर में बांग्लादेश की स्वतंत्रता से पहले पाकिस्तान की सेना ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में सुनियोजित तरीके से हिंदू समुदाय के नरसंहार को अंजाम दिया था। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और उनकी सरकार इस नरसंहार पर अपनी आंखें मूंदे रही थी। एक नई पुस्तक में यह खुलासा हुआ है।
वाशिंगटन। वर्ष उन्नीस सौ इकहत्तर में बांग्लादेश की स्वतंत्रता से पहले पाकिस्तान की सेना ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में सुनियोजित तरीके से हिंदू समुदाय के नरसंहार को अंजाम दिया था। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और उनकी सरकार इस नरसंहार पर अपनी आंखें मूंदे रही थी। एक नई पुस्तक में यह खुलासा हुआ है।
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लेखक गैरी जे बास ने अपनी किताब 'द ब्लड टेलीग्राम : निक्सन किसिंगर एंड ए फॉरगॉटेन जेनोसाइड' में लिखा है कि भारत सरकार इस बारे में जानती थी, लेकिन उसने इसे ज्यादा तवज्जो देने के बजाय बांग्लादेश में बंगाली समुदाय के जनसंहार की संज्ञा दी थी, ताकि जनसंघ के नेता इसको लेकर हाय-तौबा न मचाएं।
प्रिंसटन विश्वविद्यालय में राजनीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर बास कहते हैं, इसे मूल रूप से हिंदुओं की प्रताड़ना के रूप में सामने लाने के बजाए भारत ने इसे बंगालियों के विनाश के रूप में पेश करने पर ध्यान केंद्रित किया।
बास के मुताबिक भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह तर्क दिया था कि देश में बंगालियों की संख्या बहुत ज्यादा होने के कारण चुनाव हार गए पाकिस्तानी जनरल उनकी हत्याएं कर रहे हैं, ताकि पूर्वी बंगाल में वे बहुसंख्यक न बने रह सकें।
चुन-चुन कर मारे गए थे हिंदू
बास ने किताब में रूस में भारत के राजदूत डीपी धर के हवाले से लिखा है, पाकिस्तान की सेना पर हिंदुओं की चुन-चुनकर हत्या करने का आरोप लगा था, लेकिन जनसंघ जैसे हिंदू राष्ट्रवादी दल की उग्र प्रतिक्रिया के भय से हमने इस बात की पूरी कोशिश की कि यह मामला भारत में प्रचारित न हो।
ढाका में तत्कालीन अमेरिकी राजनयिकों ने विदेश मंत्रालय और ह्वाइट हाउस दोनों को लिखा था कि पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई हिंदुओं के नरसंहार से कम नहीं है।
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