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    भूकंप त्रासदी: नेपाल में अधजली लाशों के बीच भूख से कोहराम

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Thu, 30 Apr 2015 08:00 AM (IST)

    लकडि़यों की कमी के कारण लाशें पूरी तरह से जल भी नहीं पा रही हैं। पशुपतिनाथ घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लाशों का ढेर लगा है। जमीन का हर कोना अधजली लाशो ...और पढ़ें

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    काठमांडू [संजय सिंह]। लकडि़यों की कमी के कारण लाशें पूरी तरह से जल भी नहीं पा रही हैं। पशुपतिनाथ घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लाशों का ढेर लगा है। जमीन का हर कोना अधजली लाशों से अटा पड़ा है। इसी के आस-पास भूख और प्यास से लोग बिलबिला रहे हैं। मौत के मुंह में जाने से बच गए ये लोग जिंदगी का जश्न मनाने की स्थिति में नहीं हैं। कारण? भूकंप ने जमीन से भी बड़ी दरार उनकी किस्मत में बना दी है। उन्हें आगे की राह नहीं सूझ रही है। सो, अपना गुस्सा सरकार पर निकाल रहे हैं।

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    बुधवार को नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला को खुद लोगों का आक्रोश झेलना पड़ गया। पीडि़तों का हालचाल जानने जब प्रधानमंत्री काठमांडू के कुछ राहत शिविरों में गए तो लोगों की नाराजगी खुलकर सामने आ गई। आपदा के पांचवें दिन तक इन लोगों के पास किसी तरह की सहायता नहीं पहुंची है। इस बीच भारी बारिश, भूस्खलन और महामारी फैलने की आशंका से भूकंप पीडि़त और भी भयभीत हो गए हैं। डरे सहमे लोग अपने शहरों से दूर भागने की जुगत में लग गए हैं।

    मृतकों की संख्या छह हजार

    उप प्रधानमंत्री बामदेव गौतम के अनुसार, शनिवार के भूकंप से मरने वालों की संख्या छह हजार से ऊपर हो चुकी है। 11 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इस बीच, बुधवार को काठमांडू बाजार की स्थिति थोड़ी सामान्य हुई। कुछ दुकानें और दफ्तर भी खुले। कुछ इलाकों में बिजली और जलापूर्ति शुरू करने का भी दावा किया जा रहा है।

    पलायन को मजबूर

    काठमांडू स्थित नया बाजार में रहकर सिलाई का काम करने वाले मुहम्मद शाहबाज ने बताया कि चार दिन से उन्हें अनाज का एक दाना भी नसीब नहीं हुआ है। बिस्किट खाकर दिन बिता रहे हैं। भय का आलम यह कि 17 साल नेपाल में रहने के बावजूद अब एक मिनट भी यहां रुकना नहीं चाहते।

    इनके ही साथ काम करने वाले मुहम्मद हबीब ने सिंधुबाल चौक पर मलबे से 15 शवों को निकाला था। अब उनका भी हौसला पस्त हो चुका है। वे घर लौटना चाहते हैं, लेकिन पास में फूटी कौड़ी भी नहीं है। बस वाले पूरी गाड़ी रिजर्व कर विराटनगर तक (लगभग 625 किमी) छोड़ने के लिए 80 हजार रुपये किराया मांग रहे हैं। कर्ज देने की हालत में कोई है नहीं। फिर कोई बाहर निकलना चाहेगा तो निकलेगा कैसे?

    पशुपतिनाथ घाट पर मिले सूर्य विक्रम थापा ने बताया कि अब खतरा भूकंप से नहीं, भूख से मरने का हो गया है। उसी घाट पर मौजूद कोच्ची थापा का कहना था कि राहत और बचाव कार्य सिर्फ शहरों तक ही सीमित है।

    सब्जियों के भाव आसमान पर (कीमत नेपाली रुपये में)

    सब्जियां : पहले : अब

    आलू -20-70

    परवल -70-150

    गोभी -60-200

    बैगन-40-100

    कद्दू-20-150

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