नासा की नई तकनीक से नहीं होगी विमान उड़ान में देरी
नासा की ओर से विकसित नई तकनीक को फ्लाइट डेक इंटरवल मैनेजमेंट (एफआइएम) का नाम दिया गया है। मौजूदा एयर ट्रैफिक कंट्रोल टेक्नोलॉजी विमान के आगमन के बारे में तकरीबन एक मिनट में जानकारी देती है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। विमानों की लगातार बढ़ती संख्या और रनवे की सीमित संख्या से उड़ानों में देरी होना सामान्य सी बात है। अधिक विमानों की आवाजाही में दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। नासा ने इससे बचने के लिए एक नई तकनीक ईजाद की है। इससे उड़ानों की देरी को रोकने के अलावा दुर्घटना के खतरे को भी कम करना संभव हो सकेगा।
नासा की ओर से विकसित नई तकनीक को फ्लाइट डेक इंटरवल मैनेजमेंट (एफआइएम) का नाम दिया गया है। मौजूदा एयर ट्रैफिक कंट्रोल टेक्नोलॉजी विमान के आगमन के बारे में तकरीबन एक मिनट में जानकारी देती है। एफआइएम सिस्टम से लैंडिंग की सूचना मात्र पांच से दस सेकेंड में ही मिल सकती है। इससे विमान को व्यवस्थित तरीके से लैंड कराया जा सकेगा। महंगे ईधन की बर्बादी और वायु प्रदूषण से भी बचा जा सकेगा।
नई तकनीक नासा द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर और मौजूदा उपकरणों के बीच सामंजस्य का नतीजा है। अंतरिक्ष एजेंसी के प्रोजेक्ट मैनेजर विलियम जॉनसन ने बताया कि एफआइएम से एयर कंट्रोलर और पायलट को विमान की सही स्थिति, दूसरे विमानों की स्थिति और एयरपोर्ट पर लैंडिंग स्पेस के बारे में एक साथ जानकारी मिल सकेगी। इससे एयर ट्रैफिक को निर्बाध रखने में मदद मिलेगी। पायलट द्वारा कंट्रोलर की ओर से दी गई सूचनाओं को एफआइएम सिस्टम में डालते ही संबंधित विभागों को इसकी जानकारी मिल जाएगी।
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