कराची में सैन्य अभियान के विरोध में एमक्यूएम सदस्यों का संसद से इस्तीफा
पाकिस्तान के कराची में सेना के अभियान के विरोध में मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के सदस्यों ने संसद और सिंध की प्रांतीय असेंबली से इस्तीफा दे दिया है। एमक्यूएम 1947 में विभाजन के वक्त भारत से आए उर्दूभाषी समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है।
कराची । पाकिस्तान के कराची में सेना के अभियान के विरोध में मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के सदस्यों ने संसद और सिंध की प्रांतीय असेंबली से इस्तीफा दे दिया है। एमक्यूएम 1947 में विभाजन के वक्त भारत से आए उर्दूभाषी समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है। कराची इस पार्टी का गढ़ है। नेशनल असेंबली में पार्टी के 24, सीनेट में आठ और प्रांतीय असेंबली में 51 सदस्य हैं।
इस्तीफे से पहले एमक्यूएम संसदीय दल के नेता फारुख सत्तार ने नेशनल असेंबली में कहा कि काफी विचार-विमर्श के बाद पार्टी सदस्यों ने सभी विधायी इकाइयों से इस्तीफा देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि अभियान को लेकर जब उन्होंने चिंता जाहिर करनी चाही तो सेनाध्यक्ष और कराची के कोर कमांडर ने मिलने से मना कर दिया। सत्तार ने कहा,'यदि आप हमारे घर (कराची में) की आग की तपिश महसूस नहीं कर सकते तो याद रखें कि यह आपके घर को भी जला सकती है।' लंदन में रह रहे पार्टी प्रमुख अल्ताफ हुसैन ने भी फैसले को सही ठहराया है।
गौरतलब है कि आतंकियों और अपराधियों की हिंसा से त्रस्त कराची में सितंबर 2013 में सेना ने जब अभियान शुरू किया था तो एमक्यूएम समेत सभी दलों ने इसका समर्थन किया था। लेकिन, जब एमक्यूएम के कई सदस्यों को विभिन्न अपराधों में शामिल होने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया तो यह अभियान विवादों में घिर गया।

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