कम सोने वाले बच्चों में मोटापे का खतरा ज्यादा
एक नए शोध में आगाह किया गया है कि जो बच्चे एक दिन में दस घंटे से कम सोते हैं उनमें कम से कम 13 घंटे सोने वालों की तुलना में मोटापे का ज्यादा खतरा रहता है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं के अनुसार ऐसे बच्चे जो कम सोते और अधिक खाते हैं उनमें मोटापे और बाद के जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा ह
लंदन। एक नए शोध में आगाह किया गया है कि जो बच्चे एक दिन में दस घंटे से कम सोते हैं उनमें कम से कम 13 घंटे सोने वालों की तुलना में मोटापे का ज्यादा खतरा रहता है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं के अनुसार ऐसे बच्चे जो कम सोते और अधिक खाते हैं उनमें मोटापे और बाद के जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अध्ययन में पाया गया है कि 16 महीने की उम्र वाले बच्चे जो हर रोज 10 घंटे से कम सोते हैं उनकी प्रतिदिन 13 घंटे सोने वाले बच्चों की तुलना में औसतन 105 किलो कैलोरी अधिक की खुराक होती है।
खून जांच पहले बता देगी बच्चों में मोटापे के खतरे के बारे में
डीएनए संबंधी साधारण खून की जांच के जरिए बच्चों में मोटापे के खतरे के बारे में पहले से जाना जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथम्प्टन के शोधकर्ताओं ने इस जांच का प्रयोग पीजीसी1ए जीन (शरीर में वसा संग्रह को नियंत्रित करने का जीन) में एपिजेनेटिक बदलाव स्तर को आंकने के लिए किया।
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दरअसल, एपिजेनेटिक बदलाव एक रासायनिक परिवर्तन के माध्यम से होता है जिसे डीएनए मेथिलिएशन कहते हैं। यह जीन के काम करने को नियंत्रित और प्रारंभिक जीवन को निर्धारित करता है। साउथम्प्टन की टीम ने शोध में उन बच्चों पर परीक्षण किया, जिनकी उम्र पांच साल थी। इस उम्र में उनमें डीएनए मेथिलिएशन के स्तर में दस फीसद की वृद्धि दिखी, जिसका 14 साल की उम्र में शरीर की वसा में 12 फीसद और इजाफा हुआ।
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