भोजन के अभाव में कीड़े-मकौड़े खाने के लिए रहिए तैयार
कैसा लगेगा अगर आपको किसी रेस्तरां के मेन्यू में सिर्फ कैटरपिलर व दीमक जैसे कीड़े मकोड़ों से तैयार व्यंजनों के नाम पढ़ने को मिलें। जल्द ही ऐसा समय आने वाला है जब लोगों के पास भोजन का कोई अन्य विकल्प नहीं रह जाएगा क्योंकि मौजूदा खाद्य विकल्पों से तेजी से बढ़ रही आबादी का पेट भरना मुश्किल हो जाएगा। संयुक्त राष्ट्र के फूड
न्यूयॉर्क। कैसा लगेगा अगर आपको किसी रेस्तरां के मेन्यू में सिर्फ कैटरपिलर व दीमक जैसे कीड़े मकोड़ों से तैयार व्यंजनों के नाम पढ़ने को मिलें। जल्द ही ऐसा समय आने वाला है जब लोगों के पास भोजन का कोई अन्य विकल्प नहीं रह जाएगा क्योंकि मौजूदा खाद्य विकल्पों से तेजी से बढ़ रही आबादी का पेट भरना मुश्किल हो जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन (एफएओ) ने चेतावनी जारी की है कि निकट भविष्य में दुनिया की आबादी जल्द ही आठ अरब हो जाएगी और भोजन के मौजूदा विकल्प पर्याप्त नहीं होंगे। एफएओ ने 'एडिबल इंसेक्ट्स : फ्यूचर प्रोस्पेक्ट्स फॉर फूड एंड फीड सिक्योरिटी' नाम की रिपोर्ट में कीड़े मकौड़ों से तैयार होने वाले भोजन 'एनटोमोफैगी' को भी शामिल किया गया है जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद होता है। मोपन कैटरपिलर ऐसा ही एक नाम है जिसे भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। परंपरागत रूप से इसे नमक के पानी में उबाला जाता है और खाने से पहले धूप में सुखाया जाता है। बिना फ्रीज में रखे भी इसे कई महीनों तक खाया जा सकता है। एफएओ के मुताबिक, यह पोटेशियम, सोडियम, कैलशियम, फासफोरस, मैग्निशियम, जिंक और मैग्नीज का अच्छा स्त्रोत है। इसके अलावा दीमक भी पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। इसे केले के पत्ते में लपेट कर भाप में पकाया जा सकता है। धूप में सुखाकर फ्राई किया जा सकता है। दीमक में 38 प्रतिशत प्रोटीन के अलावा, आयरन, जरूरी अम्ल और एमीनो एसिड होता है। टिड्डों को भी दुनिया के बहुत से हिस्सों में बड़े चाव से खाया जाता है।
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