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प्रकाश जावड़ेकर बोले, जलवायु परिवर्तन मसौदे से संतुष्‍ट नहीं है भारत

जलवायु परिवर्तन पर तैयार किए गए नये मसौदे में राष्‍ट्रो के स्‍वैच्‍छिक प्रतिज्ञाओं समेत अपने अनेकों मामलों को शामिल नहीं होने से भारत असंतुष्‍ट है।

By Monika minalEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2015 03:13 PM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2015 03:52 PM (IST)

पेरिस। जलवायु परिवर्तन पर तैयार किए गए नये मसौदे में राष्ट्रो के स्वैच्छिक प्रतिज्ञाओं समेत अपने अनेकों मामलों को शामिल नहीं होने से भारत असंतुष्ट है। भारत ने हर देश की राष्ट्रीय जलवायु कार्य योजनाओं को अहम परिवर्तन लाने वाली करार देते हुए आज इस बात पर गहरी चिंता जताई कि जलवायु परिवर्तन वार्ताकारों ने वार्ता संबंधी जो नया मसौदा जारी किया है, उनमें इन योजनाओं को शामिल नहीं किया गया है।

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भारत ने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग को पूर्व औद्योगिक काल से 1.5 डिग्री सेल्सियस के बीच सीमित करने के लक्ष्य के लिए जरूरी होगा कि विकसित देश अपने उत्सर्जनों में कमी करें और विकासशील देशों को दी जाने वाली आर्थिक मदद को बढ़ाएं। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा ‘दीर्घकालिक तापमान लक्ष्य की दिशा में हम जलवायु से संबंधित उच्चतर महत्वाकांक्षा से जुड़ी मांगों के प्रति बेहद संवेदनशील हैं। मैं 1.5 डिग्री के जिक्र की मांग को पूरी तरह समझता हूं क्योंकि भारत में हमारे पास भी 1300 से ज्यादा द्वीप हैं।‘

ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर देने का जिक्र समझौते के मसौदे में किया गया है।

पेरिस सम्मेलन में मौजूद पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मसौदे के बारे में कहा, वित्त की बात करें तो यह बेहद निराशाजनक है कि एक ओर तो विकसित देश अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी नहीं कर रहे और दूसरी ओर वे अपनी जिम्मेदारी विकासशील देशों पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें न तो विकसित देशों द्वारा वित्तीय मदद बढ़ाने का कोई संकेत है और न ही इस संबंध में कोई रोडमैप पेश किया गया है। जावडेकर के मुताबिक, मसौदे में जलवायु न्याय और टिकाऊ जीवनशैली जैसे कई अहम मुद्दों का जिक्र अवश्य होना चाहिए था।

भारत ने जलवायु परिवर्तन पर लगाम कसने के मसले पर एक बार फिर विकसित देशों से विकासशील देशों को वित्तीय मदद बढ़ाने को कहा है।

भारत समेत बेसिक देशों ने इस मांग को रेखांकित करने के लिए अपने विकल्प खुले रखे हैं। इन देशों ने कहा था कि वे जल्द ही एक निष्कर्ष तक पहुंचने की उम्मीद के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। भारत ने कहा कि विकसित देशों ने अपना दायित्व पूरा नहीं किया है।


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