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    आइएस से ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है हिज्ब-उत-तहरीर

    By Sudhir JhaEdited By:
    Updated: Sun, 15 Feb 2015 05:21 PM (IST)

    दुनिया की नजरों से बचते हुए आइएस की तर्ज पर एक और कट्टरपंथी संगठन चुपके से पांव पसारता जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दस लाख से अधिक सदस्य बना चुके हिच्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) आइएस से ज्यादा खतरनाक आतंकवादी संगठन साबित हो सकता है। दक्षिण एशिया में एचयूटी की मौजूदगी

    वाशिंगटन। दुनिया की नजरों से बचते हुए आइएस की तर्ज पर एक और कट्टरपंथी संगठन चुपके से पांव पसारता जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दस लाख से अधिक सदस्य बना चुके हिच्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) आइएस से ज्यादा खतरनाक आतंकवादी संगठन साबित हो सकता है। दक्षिण एशिया में एचयूटी की मौजूदगी पाकिस्तान और बांग्लादेश में है।

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    दक्षिण एशिया खास कर बांग्लादेश एवं पाकिस्तान में संगठन की मौजूदगी को देखते हुए रिपोर्ट में भारत को भी सावधान किया गया है। भारत के लिए चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि एचयूटी ने अपनी वेबसाइट में 2010 में दिल्ली के बटला हाउस में इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन का दावा किया है। दावे के मुताबिक इस प्रदर्शन में एक हजार लोग शामिल हुए थे। इसके बाद भारत में एचयूटी कोई गतिविधि सामने नहीं आई है।

    सीटीएक्स पत्रिका के ताजा संस्करण में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, आइएस ने जहां सीरिया और इराक में अपनी नृशंसता के कारण मीडिया का ध्यान खींचा है, वहीं एचयूटी चुपचाप कट्टरपंथी युवाओं की फौज तैयार कर रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस संगठन ने करीब 50 देशों में अपनी विचारधारा और समर्थन आधार का प्रसार करते हुए दुनिया की नजर से खुद को बड़े शातिर तरीके से बचाये रखा।

    रिपोर्ट के अनुसार संगठन दुनियाभर में दस लाख से अधिक सदस्य बना चुका है। यह आइएस के दावे से कहीं ज्यादा है। पत्रिका ने खबरों का हवाला देते हुए कहा है कि एचयूटी की एक हथियारबंद इकाई है जिसे हरकत उल-मुहोजिरिनफी ब्रिटानिया नाम दिया गया है जो रासायनिक और जैविक युद्ध के लिए अपने कैडर को प्रशिक्षण दे रहा है। अमेरिका की ग्लोबल एजुकेशन कम्युनिटी कोलेबोरेशन ऑनलाइन पत्रिका के अनुसार, 'इसलिए एचयूटी में आइएस से कहीं अधिक खतरनाक आतंकी संगठन बनने की क्षमता है।' इस संगठन की स्थापना 1952 में यरुशलम में की गयी थी और इसका मुख्यालय लंदन में है। इसकी शाखाएं मध्य एशिया, यूरोप, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया तथा खासतौर पर इंडोनेशिया तक फैली हैं। उसने बड़ा असर छोड़ने में सफलता पाई है।

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