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    अमेरिका में बड़े हिंदू मंदिर पर हमला कर लिखा ‘गेट आउट’

    By Jagran News NetworkEdited By:
    Updated: Tue, 17 Feb 2015 08:27 PM (IST)

    मुश्किल से एक करीब बीस दिन पहले भारत की धार्मिक सहिष्णुता पर सवाल उठाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के अपने ही देश में मंदिर को निशाना बनाने की घटना सामने आई है। सिएटल से करीब 36 किमी दूर बोथेल एक मंदिर में तोडफ़ोड़ की गई। उसकी दीवार पर नफरत

    वाशिंगटन। मुश्किल से एक करीब बीस दिन पहले भारत की धार्मिक सहिष्णुता पर सवाल उठाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के अपने ही देश में मंदिर को निशाना बनाने की घटना सामने आई है। सिएटल से करीब 36 किमी दूर बोथेल एक मंदिर में तोडफ़ोड़ की गई। उसकी दीवार पर नफरत भरे संदेश लिखे गए। हमलावरों ने मंदिर की दीवार पर पेंट से स्वास्तिक का निशान बनाकर 'गेट आउट' लिख दिया।

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    यह मंदिर अमेरिका के बड़े ङ्क्षहदू मंदिरों में एक है। स्नोहोमिश काउंटी के शेरिफ का विभाग शनिवार को हुई इस घटना की जांच 'द्वेषपूर्ण उत्पीडऩ' के तौर पर कर रहा है। काउंटी के शीर्ष अधिकारियों ने मंदिर का दौरा भी किया है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने घटना की निंदा की है।

    फाउंडेशन की सदस्य पद्मा कुप्पा ने बताया कि इस घटना से पहले बीते शनिवार एक मस्जिद में आगजनी की घटना हुई थी। इन घटनाओं से समुदायों के बीच डर और अविश्वास पैदा हो गया है।

    पहले भी मंदिर बना है निशाना

    हिंदू मंदिर एवं सांस्कृतिक केंद्र न्यास बोर्ड बोथेल, वाशिंगटन के अध्यक्ष नित्य निरंजन ने बताया कि कुछ साल पहले भी इस मंदिर की बाहरी दीवार पर किसी ने स्प्रे कर दिया था। लेकिन उस वक्त इसकी शिकायत नहीं की गई थी।

    पहली घटना नहीं

    अमेरिका में ङ्क्षहदू मंदिरों को निशाना बनाने की यह पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ समय से ऐसी घटनाओं में इजाफा देखा जा रहा है। पिछले साल वर्जीनिया की लोडोउन काउंटी और जॉर्जिया के मोनेरो में ऐसी ही घटनाएं हुई थीं। इसे देखते हुए एक जनवरी 2015 से न्याय विभाग ने ङ्क्षहदू विरोधी अपराधों को घृणा अपराधों की श्रेणी में लाने का आदेश दिया था।

    क्या बोले थे ओबामा?

    27 जनवरी को दिल्ली के सिरीफोर्ट में ओबामा ने कहा था कि भारत में धार्मिक आजादी बरकरार नहीं रखी गई तो उसका विकास रुक जाएगा। इसके बाद पांच फरवरी को वाशिंगटन में नेशनल ब्रेकफास्ट प्रेयर में उन्होंने कहा कि भारत में धार्मिक असहिष्णुता इतनी बढ़ गई है कि यदि महात्मा गांधी जिंदा होते तो वे आहत होते।

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