41 साल में पहली बार जब अनछुआ रहा माउंट एवरेस्ट का शिखर
नेपाल में एक के बाद एक हुए हादसे और हिमस्खलनों के बाद पिछले वर्ष इसकी चोटी तक पहुंचने की हिम्मत कोई नहीं दिखा सका।
लंदन। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पिछले वर्ष मानव स्पर्श से अछूती रही। वर्ष 1974 के बाद यानी पिछले 41 सालों में पहली बार 2015 ऐसा वर्ष रहा, जब माउंट एवरेस्ट पर शिखर पर कोई नहीं पहुंच पाया। नेपाल में एक के बाद एक हुए हादसे और हिमस्खलनों के बाद पिछले वर्ष इसकी चोटी तक पहुंचने की हिम्मत कोई नहीं दिखा सका।
नेपाल में अप्रैल 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के चलते व्यावसायिक संस्थाओं ने पर्वत पर अभियान दल नहीं भेजे। मालूम हो, जिस महीने भूकंप आया, उसी महीने एवरेस्ट पर हुए हिमस्खलन के कारण 24 पर्वतारोही और दल के सदस्य मारे गए थे। एवरेस्ट पर अभियान के दौरान मारे जाने वाले पर्वतारोहियों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या थी।
नेशनल जियोग्राफी की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2015 की शुरुआत में पर्वतारोहण के मौसम में 359 लोग (रिकॉर्ड संख्या में) एकत्र हुए थे। लेकिन अप्रैल-मई में आए भूकंप और इसी दौरान हुए हिमस्खलन के कारण इनमें से प्रत्येक को एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने की अपनी योजना पर विराम लगाना पड़ा।
अगस्त में खोला गया था
पर्यटकों के लिए एवरेस्ट को अगस्त 2015 में खोला गया था, लेकिन शिखर पर पहुंचने के लिए समिट के लिए सिर्फ एक पर्वतारोही को परमिट दिया गया। नोबुकाजू कुरिकि नामक यह जापानी पर्वतारोही अक्टूबर तक शिखर से 700 मीटर दूर था, लेकिन अधिक ठंड से अंगुलियां सुन्न हो गईं और उसे अंगुलियां खोना पड़ीं और लौटना पड़ा। हालांकि इस वर्ष फिर से रिकॉर्ड संख्या में पर्वतारोहियों के जुटने की उम्मीद की जा रही है।
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