600 से अधिक बार किया गया था फिदेल कास्त्रो को मारने का प्रयास
क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो को अनेकों पर जान से मारने का प्रयास किया गया। लेकिन हर बार वह मौत को मुंह चिढ़ाते हुए बचकर निकलने में कामयाब रहे।
नई दिल्ली (जेएनएन)। फिदेल कास्त्रो का पूरा नाम फिदेल ऐलेजैंड्रो कास्त्रो रूज था। 13 अगस्त 1926 को क्यूबा के एक अमीर परिवार में पैदा हुए कास्त्रो ने खुद को एक सफल नेता साबित किया। उनके कई घोर विरोधी भी उनकी तारीफ करते कई बार देखे गए। कास्त्रो को उनके विरोधियों ने 600 से अधिक बार मारने की नाकाम कोशिश की थी। इसमें से एक कोशिश खुद उनकी गर्ल फ्रेंड ने भी की थी। लेकिन उसके मंसूबों का उन्हें पता चल गया और वह कुछ न कर सकी।
अपने जीवन पर हुए हमलों के प्रयास पर कास्त्रो ने एक बार कहा था, हत्या के प्रयास में बचने पर अगर एक ओलंपिक आयोजन होता तो मैं स्वर्ण पदक जीत जाता। फरवरी 1959 से 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और फिर क्यूबा के राष्ट्रपति रहे। खराब स्वस्थ्य के चलते उन्होंने फरवरी 2008 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अपने अंतिम समय तक वह क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम सचिव बने रहे।
अंत तक रहे अमेरिका के विरोधी
कास्त्रो ने हायर एजूकेशन प्राप्त की थी। क्यूबा क्रांति में अहम योगदान देने वाले कास्त्रो को उनके विरोधियों ने कई बार जान से मारने का असफल प्रयास किया। कास्त्रो अपने अंतिम समय तक अमेरिका के घोर विरोधी रहे। इसी साल अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की क्यूबा यात्रा के दौरान भी कास्त्रो ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया था। उनका यही अंदाज कई लोगों को जहां परेशान करता था वहीं कई लोग उनके इसी अंदाज के कायल भी थे।
1952 में संसद के लिए पहली बार हुआ चुनाव
राजनीति में रुचि बढ़ने के कारण 1952 के चुनाव में कास्त्रो क्यूबा की संसद में सदस्यता के लिए उम्मीदवार बने जब पूर्व राष्ट्रपति जनरल फुल्गेंकियो बतिस्ता ने राष्ट्रपति कार्लोस प्रीओ सोकार्रास का तख्तापलट किया, चुनाव रद्द कर दिया; और सरकार में "अस्थायी राष्ट्रपति" बन गए। बतिस्ता को क्यूबा समाज के संस्थागत तत्वों, शक्तिशाली क्यूबाई एजेंसियों और और श्रमिक यूनियनों का समर्थन मिला।
बतिस्ता शासन को उखाड़कर लिया दम
उनका राजनीतिक जीवन फुल्गेंकियो बतिस्ता शासन और अमेरिका का विरोध करते हुए बीता। उन्होंने 1953 में मोंकाडा बैरकों पर हमले का नेतृत्व किया, लेकिन इसमें असफल रहने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उन्होंने एक सफल हमले की योजना बनाई और इसकी तैयारी के लिए उन्होंने मैक्सिको का रुख किया। 1956 में वह दोबारा क्यूबा लौटे। इस बार उनकी योजना गोरिल्ला युद्ध करने की थी। वह अमेरिका समर्थित फुल्गेंकियो बतिस्ता की तानाशाही को उखाड़ फेंकना चाहते थे, जिसमें वह सफल भी हुए।
क्यूबा के पीएम बने
बतिस्ता को सत्ता से हटाने के बाद वह क्यूबा के प्रधानमंत्री बने। 1965 में वे क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम सचिव बन गए और क्यूबा को एक-दलीय समाजवादी गणतंत्र बनाने में नेतृत्व दिया। 1976 में वे राज्य परिषद और मंत्रिपरिषद के अध्यक्ष (राष्ट्रपति) बनेे। सत्ता पर रहते हुए उन्होंने क्यूबा के सशस्त्र बलों के कमांडर इन चीफ का पद भी अपने पास ही रखा। कास्त्रो के विरोधी उन्हें एक तानाशाही शासक मानते रहे हैं।
क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का 90 वर्ष की उम्र में निधन
भाई को किया सत्ता का हस्तातंरण
31 जुलाई 2006 को खराब स्वस्थ्य के चलते सत्ता का हस्तातंरण कर दिया और अपने छोटे भाई राउल कास्त्रो को सत्ता सौंप दी। 19 फरवरी 2008 को उन्होंने घोषणा की कि वे फिर से राष्ट्रपति और कमांडर इन चीफ नहीं बनना चाहते हैं। 24 फरवरी 2008 को नेशनल असेंब्ली ने राउल कास्त्रो को क्यूबा के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया।
हत्या के कई प्रयास किए विफल
लंबे समय से कास्त्रो की रक्षा में रहे फबियन एस्कालान्ते के हिसाब से सीआईए ने कास्त्रो की हत्या के लिए 638 बार प्रयास किये या योजनाएं बनाईं। विस्फोटक सिगार, एक फफूंद-संक्रमित स्कूबा-डाइविंग सूट और माफिया शैली की शूटिंग कुछ ऐसे कथित प्रयास हैं। इन प्रयासों में से एक उनकी पूर्व प्रेमिका मारिता लोरेन्ज द्वारा किया गया, जिनसे 1959 में उनकी मुलाकात हुई थी। वह कथित तौर पर सीअाईए की सहायता पर सहमत हुई और उनके कमरे में जहर की गोलियों वाली कोल्ड क्रीम का जार पहुंचने की कोशिश की। लेकि जब कास्त्रो को इसका पता चला तो कहते है कि उन्होंने उसे एक बंदूक दे दी और उससे कहा कि वह उन्हें मार डाले। लेकिन उसकी हिम्मत जवाब दे गई।
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