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पाक में हर महीने 25 हिंदू लड़कियों का अपहरण

वाशिंगटन। पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और खासतौर पर हिंदुओं के साथ होने वाले भेदभाव पर अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में गहरी चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में हिंदुओं को अपहरण और जबरन धर्म-परिवर्तन का डर लगा रहता है। इसी प्रकार से बाग्लादेश में रहने वाले हिंदू और दूसरे अल्

By Edited By: Published: Tue, 31 Jul 2012 05:14 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2012 05:15 PM (IST)

वाशिंगटन। पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और खासतौर पर हिंदुओं के साथ होने वाले भेदभाव पर अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में गहरी चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में हिंदुओं को अपहरण और जबरन धर्म-परिवर्तन का डर लगा रहता है। इसी प्रकार से बाग्लादेश में रहने वाले हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

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पाकिस्तान में कुल आबादी का पाच प्रतिशत से भी कम हिस्सा अल्पसंख्यकों में गिना जाता है, जिनमें हिंदू भी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, 'धार्मिक अल्पसंख्यकों का दावा है कि जबरन धर्म-परिवर्तन रोकने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।' पाकिस्तान मानवाधिकार परिषद के आंकड़ों के अनुसार, हर महीने 20-25 हिंदू लड़कियां अगवा कर ली जाती हैं और उन्हें जबरन इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा जाता है। अमेरिकी विदेश विभाग ने रिपोर्ट में उदाहरण के तौर पर एक घटना का भी जिक्र किया है।

इसमें बताया गया कि पिछले साल नौ नवंबर को चार हिंदू डॉक्टरों की सिंध प्रांत के शिकारपुर जिले में सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कहा जाता है कि यह हमला एक हिंदू पुरुष और मुस्लिम महिला के बीच संबंधों की वजह से हुआ था। इस मामले की पड़ताल एक साल से लंबित पड़ी है।

बाग्लादेश का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि वहां भी अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जाता है। हिंदू, ईसाई और बौद्ध धर्म को मानने वाले अल्पसंख्यकों को मुस्लिम बहुल इलाकों में भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। कभी-कभी उनके साथ हिंसा भी होती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि बाग्लादेश में अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव और हिंसा के मामले पिछले वर्ष की तुलना में कम हो रहे हैं।

बाग्लादेश में कई हिंदुओं को अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ा है। एक कानून की वजह से वे अपनी संपत्तिपर दावा नहीं कर सकते हैं। हालाकि, अवामी लीग सरकार ने वर्ष 2001 में इस कानून को हटा दिया था, लेकिन बाद में आई सरकार ने इसे दोबारा लागू कर दिया था।

ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के अध्ययन का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि इस कानून की बुनियाद पर बाग्लादेश की सरकार ने लगभग 26 लाख एकड़ जमीन हथिया ली है, जिससे देश के तमाम हिंदुओं पर असर पड़ा है।

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