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तख्‍तापलट की कोशिश करने वालों को फांसी देने के हक में है जनता: एर्दोगन

तुर्की के राष्‍ट्रपति एर्दोगन ने कहा है कि देश की ज्‍यादातर जनता तख्‍तापलट में शामिल आरोपियों को फांसी की सजा देने की पक्षधर है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2016 01:05 AM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2016 02:33 AM (IST)

इस्तांबुल (एएफपी)। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने देश में फांसी की सजा बहाल करने का एक बार फिर से संकेत दिया है। इस्तांबुल में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने साफतौर पर कहा कि देश की जनता तख्तापलट की कोशिश करने वाले देशद्रोहियों को फांसी की सजा देने के हक में है। यदि देश की राजनीतिक पार्टियां इस पर अपनी सहमति देती हैं तो देशवासियों की यह मांग मानी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस पर निर्णय लेने का हक केवल संसद को है, लेकिन यदि संसद इसको पास करती है तो वह इसको रोकने वाले नहीं हैंं।

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इस मौके पर उन्होंने फांसी की सजा के खिलाफ ईयू से आने वाली अावाज की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में आज भी मौत की सजा बरकरार है। तख्तापलट की नाकाम कोशिश के विरोध में आयोजित इस रैली में काफी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। इस रैली को राष्ट्रपति एर्दोगन समेत विपक्ष के कई नेताओं संबोधित किया। गौरतलब है कि तुर्की में 15 जुलाई को हुए तख़्तापलट के प्रयास से जुड़ी घटनाओं में 270 से अधिक लोग मारे गए थे।

यह रैली तीन सप्ताह से जारी राष्ट्रपति एर्दोगन के समर्थकों के प्रदर्शनों के समापन के रूप में आयोजित की गई थी। इस रैली में कुर्द समूहों को आमंत्रित नहीं किया गया था। रैली में प्रधानमंत्री बिनाली यिल्द्रिम ने कहा कि गुलेन को तुर्की लाया जाएगा और तख्तापलट के लिए उन्हें सजा दी जाएगी। वहीं तुर्की की मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता कमाल किलिकदारोग्लू ने कहा कि पंद्रह जुलाई के बाद का तुर्की एक नया देश है। वहीं तुर्की की सेना के प्रमुख हुलूसी अकार ने तख्तापलट की कोशिश में शामिल होने वाले दोषियों को सख्त सजा देने की बात कही।
उन्होंने तख्तापलट को नाकाम करने के लिए तुर्की की जनता का भी शुक्रिया अदा किया।

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तुर्की में हुई तख्तापलट की नाकाम कोशिश के बाद सरकार ने कई मोर्चों पर शिकंजा कसते हुए अब तक हजारों लोगों पर कार्रवाई की है। कई हजार लोगों को इसके आरोप में अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है और कई हजार लोगों को नौकरियों से निकाल दिया गया है। तुर्की की सरकार ने इसके पीछे अमेरिका में रह रहे गुलेन को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन गुलेन ने इसमें अपनी भूमिका से साफ इंकार किया है।


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