नेपाल के गोरखा में देर रात फिर आए भूकंप के झटके
भूकंप की त्रासदी के बीच अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहे गोरखा जिले पर फिर प्रकृति ने कहर बरपाया। मंगलवार की रात नौ बजे से बुधवार की रात 10.50 बजे तक इस ...और पढ़ें

गोरखा (नेपाल, जासं)। भूकंप की त्रासदी के बीच अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहे गोरखा जिले पर फिर प्रकृति ने कहर बरपाया। मंगलवार की रात नौ बजे से बुधवार की रात 10.50 बजे तक इस जिले को सात बार भूकंप ने हिलाया। सुबह के भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.8 बताई जा रही है। 27 घंटे की यह अवधि यहां के लोगों के लिए दुख के पहाड़ों के बीच दहशत से भरी रही। उधर, इस आपदा में मृतकों की संख्या बढ़कर 6000 से अधिक हो गई है।विश्व बैंक ने नेपाल को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक भगदड़ मची रही। लोग जान बचाने के लिए खुले और सुरक्षित स्थानों पर दौड़ रहे थे। बारिश के चलते स्थिति और खराब हो गई। बरसात की परवाह किए बगैर लोग भीगते रहे। अधिकतर लोग तो शहर छोड़ नीचे 36 किलोमीटर दूर अबू खैरी कस्बे में चले गए हैं।
पोखरा निवासी वीरेंद्र बंजारा 27 घंटे के अंदर सात बार आए भूकंप को त्रासद भरा बताते हैं। आपबीती सुनाते आंखों से आंसू छलक जाते हैं। वह बताते हैं कि मंगलवार की रात में नौ बजे जब पहला झटका आया तो वह शिविर में लोगों के साथ थे। इसके बाद तो भूकंप आने का क्रम ही शुरू हो गया। आधी रात 12 बजे व भोर में चार बजे दूसरी और तीसरी बार भूकंप आया। बुधवार की सुबह छह बजे, आठ, नौ बजे और रात 10.50 बजे के बीच आए भूकंप के झटकों से लोग हिल गए।
बारपाक में पानी गर्म होने से सहमे लोग : शनिवार को आए भूकंप के केंद्रबिंदु रहे बारपाक गांव में पानी गर्म होने की सूचना पर लोग सहम गए। लोगों को डर है कि भूकंप के बाद यह क्षेत्र ज्वालामुखी की चपेट में न आ जाए।
बारिश ने बढ़ाई मुसीबत, भूस्खलन से आवागमन ठप : गोरखा एवं आसपास के जिलों में मंगलावर की शाम से आरंभ हुई मुसलाधार बारिश दूसरे दिन भी जारी रही। इसने जनता और प्रशासन दोनों की मुसीबत बढ़ा दी है। पहाड़ों पर भूस्खलन आरंभ हो गया है। गोरखा के ग्रामीण अंचलों में राहत कार्य में जुटे जवान वापस कैंपों में लौट आए हैं।
मौसम ने खराब किए हालात :
तेज हवा के साथ बारिश से सबसे अधिक दिक्कत गांवों में फंसे लोगों को हो रही है। अधिकतर शिविरों के तंबू उखड़ गए हैं। लापराम, गुरदा, शिलीकोट एवं नगर पालिका के लोगों ने जागकर रात गुजारी। तंबू में रखा सामान भी भीगकर नष्ट हो गया। राहत शिविरों में रह रहे लोगों के सामने अब भोजन का भी संकट है। पहाड़ की कच्ची सड़कों पर चलना मुश्किल है। लोग गोरखा शहर की तरफ नहीं आ पा रहे हैं। स्थिति यह है कि भारतीय सेना के पांच व नेपाल का एक हेलीकॉप्टर भी पोखरा से बचाव कार्य के लिए उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। गोरखा के मुख्य जिलाधिकारी वेद प्रकाश खरेल के मुताबिक बारिश के थमते ही राहत कार्य आरंभ कर दिया जाएगा।

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