चीनी-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर बढ़ते सुरक्षा खर्च से चीन परेशान
सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने सीपीईसी पर बढ़ते सुरक्षा खर्च को लेकर बीजिंग की चिंता दर्शायी है।
बीजिंग, प्रेट्र। चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) परियोजना को लेकर चीन की हालत सांप-छछुंदर जैसी हो गई है। इसे ना तो वह उगल पा रहा है, ना निगल पा रहा है। पीछे हटकर अपनी किरकिरी कराना उसे मंजूर नहीं और आगे बढ़ना अब महंगा पड़ने लगा है। सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने सीपीईसी पर बढ़ते सुरक्षा खर्च को लेकर बीजिंग की चिंता दर्शायी है।
एक समय परियोजना का बढ़-चढ़कर समर्थन करने वाले इस अखबार के मुताबिक, 'परियोजना दोनों देशों के लिए आसान नहीं होने जा रही है। ऐसा नहीं लगता कि चीन अभी सीपीईसी पर अपना सहयोगी रवैया बदलेगा, लेकिन सुरक्षा पर बढ़ता खर्च लंबी अवधि में परियोजना के रास्ते में बड़ी समस्या बन सकता है।'
यह कॉरीडोर चीन के शिनजियांग प्रांत को रेल, सड़क और पाइपलाइन के जरिये बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगा। 46 अरब डॉलर (करीब 3,077 अरब रुपये) की यह परियोजना गुलाम कश्मीर से होकर गुजरेगी। समाचार पत्र ने परियोजना पर काम कर रहे 7,036 चीनी कर्मचारियों की सुरक्षा में लगे पाकिस्तान के 14,503 सैनिकों का भी जिक्र किया है।
इसके अनुसार, 'चीन एक ही क्षेत्र पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दे सकता। एक ही टोकरी में सारे फल रखना समझदारी नहीं हो सकती।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में जी-20 सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के समक्ष परियोजना को लेकर चिंता जताई थी। हालांकि ग्लोबल टाइम्स ने भारत की चिंताओं पर कोई विचार नहीं व्यक्त किया है।

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