बांग्लादेश को लुभाने में जुटा चीन, 24 अरब डॉलर का देगा कर्ज
चीन के राष्ट्रपति अाज अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान 24 अरब अमेरिकी डॉलर से भी अधिक रकम के कर्जों को मंज़ूरी देने वाले हैं।
ढाका, रायटर/प्रेट्र। भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका और नेपाल से करीबी बढ़ाने की कोशिशों में जुटे चीन की नजर अब बांग्लादेश पर है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग दो दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार को ढाका पहुंचे। 30 सालों में किसी चीनी राष्ट्रपति का यह पहला बांग्लादेश दौरा है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से उनकी मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच 26 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। 16 करोड़ की आबादी वाले इस मुस्लिम बहुल देश को चीन आधारभूत संरचना के विकास के लिए 24 अरब डॉलर (करीब 1.60 लाख करोड़ रुपये) का कर्ज भी देगा। यह बांग्लादेश को अब तक का सबसे बड़ा विदेशी कर्ज और भारत के दो अरब डॉलर के कर्ज के मुकाबले 12 गुना ज्यादा है।
बांग्लादेश के वित्त उपमंत्री एमए मन्नान ने बताया कि चीन से मिले पैसे की मदद से ऊर्जा परियोजनाओं, बंदरगाह और रेल नेटवर्क का विकास किया जाएगा। चीन ने गहरे समुद्र में सालों से अटके पड़े बंदरगाह के निर्माण को लेकर भी उत्सुकता दिखाई है। बांग्लादेशी प्रधानमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि हसीना के साथ बातचीत में चिनफिंग ने द्विपक्षीय संबंधों को दीर्घकालीन रणनीतिक भागीदारी के स्तर तक ले जाने का आह्वान किया।
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उन्होंने बताया कि दोनों देशों ने बिजली, सड़क और रेल संपर्क जैसे प्रमुख क्षेत्रों में समझौते किए हैं। इससे पहले ढाका हवाई अड्डे पर बांग्लादेशी समकक्ष अब्दुल हामिद ने चिनफिंग की अगवानी की। चिनफिंग की यह यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है जब भारत भी श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश के साथ संबंधों को नया आयाम देने का प्रयास कर रहा है। भारत के कारण ही जापान भी बांग्लादेश की मदद कर रहा है। उसने बंदरगाह और ऊर्जा परियोजनाओं के लिए कम ब्याज पर बांग्लादेश को रकम दी है। लेकिन, चिनफिंग की यात्रा से प्रभुत्व बढ़ाने का नया खेल शुरू होने की शंका है।
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हालांकि शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में साउथ एशिया स्टडीज के निदेशक झाओ गानचेंग का मानना है कि बांग्लादेश को निवेश की सख्त जरूरत है और इससे रणनीतिक मुकाबले की शुरुआत नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश, म्यांमार, चीन और उत्तरी भारत को जोड़ने वाले बीजिंग के आर्थिक गलियारे के जिस प्रस्ताव को लेकर भारत उत्सुकता नहीं दिखा रहा है उसका भी ढाका ने समर्थन किया है। भारत इस परियोजना को एशिया में शक्ति संतुलन चीन के पक्ष में झुकाने की कोशिश के तौर पर देखता है।
शी चिनफिंग की यात्रा से सहयोग के एक नये युग की शुरुआत हुई है। चीन हमारा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार बन गया है। वह हमारे सपनों को साकार करने के लिए एक भरोसेमंद साझेदार है।
-शेख हसीना, प्रधानमंत्री, बांग्लादेश
परस्पर राजनीतिक विश्वास, संबंधों और व्यवहारिक सहयोग को और गहरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने को चीन तैयार है। दोनों देश अच्छे दोस्त और साझेदार हैं।
-शी चिनफिंग, राष्ट्रपति चीन
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