जापान की धरती से चीन को मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान और भारत के रिश्तों को नई और वैश्विक साझेदारी के पायदान पर खड़ा करने के साथ ही जापानी जमीन से चीन के रवैये पर तंज भी कसा है। पीएम ने चीन का नाम लिए बिना कुछ देशों के 'विस्तारवादी रवैये' और 'सागर में अतिक्रमण' पर कटाक्ष किया। भारतीय प्रधानमंत्री के बयान ने जहां एशियाई शक्ति संतुलन की इबारत को नया आयाम दिया है, वहीं चीन को भी सख्त संदेश दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान और भारत के रिश्तों को नई और वैश्विक साझेदारी के पायदान पर खड़ा करने के साथ ही जापानी जमीन से चीन के रवैये पर तंज भी कसा है। पीएम ने चीन का नाम लिए बिना कुछ देशों के 'विस्तारवादी रवैये' और 'सागर में अतिक्रमण' पर कटाक्ष किया। भारतीय प्रधानमंत्री के बयान ने जहां एशियाई शक्ति संतुलन की इबारत को नया आयाम दिया है, वहीं चीन को भी सख्त संदेश दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबी के साथ वार्ता के बाद दिए वक्तव्य में कुछ देशों की विस्तारवादी प्रवृत्ति की आलोचना की, जो दूसरों के सागर में अतिक्रमण करते हैं। पीएम ने कहा, 'दुनिया दो धाराओं में बंटी है। एक, विस्तारवाद की धारा है और दूसरी विकासवाद की। हमें तय करना है कि विश्व को विस्तारवाद के चंगुल में फंसने देना है या दुनिया को विकासवाद के मार्ग पर ले जाकर नई ऊंचाइयों को छूने के अवसर पैदा करना है।' मोदी के अनुसार, 'हमें फैसला करना है कि हम विकासवाद चाहते हैं या वह विस्तारवाद जो विघटन की ओर जाता है। जो बुद्ध के मार्ग का अनुसरण करते हैं और विकासवाद पर भरोसा करते हैं, वे विकास करते हैं। लेकिन हम देख रहे हैं जो 18वीं सदी का विचार रखते हैं वे अतिक्रमण करते हैं और समंदर में प्रवेश करते हैं।' उनकी इस टिप्पणी को चीन पर निशाना साधने के तौर पर देखा जा सकता है जो दक्षिण चीन सागर के मामले में कुछ पड़ोसी देशों के साथ संघर्षरत है।
पीएम के इस संदेश को सीमा पर चीनी सैनिकों की अक्सर होने वाली घुसपैठ से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। चीन के साथ चार हजार किलोमीटर से अधिक लंबी अनिर्णित सीमा या वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत को भी चीनी दबंगई के वाकये अक्सर पेश आते हैं। चीन ने हाल ही में अपने सैनिकों को बांटे नए नक्शों में भी अरुणाचल प्रदेश समेत भारत के कई इलाकों को चीन का हिस्सा बताया है।
हालांकि जापान दौरे पर रवाना होने से पहले पीएम ने 29 अगस्त को जापानी मीडिया को दिए साक्षात्कार में चीनी विस्तारवाद से जुड़े सवाल के जवाब में चीन को भारत का सबसे बड़ा पड़ोसी और विदेश नीति की प्राथमिकता बताया था। साथ ही दोनों देशों के बीच रणनीतिक और सहयोगपूर्ण रिश्तों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया था।
चीनी प्रतिक्रिया-कहीं नरम, कहीं गरम:
अगले पखवाड़े चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भारत दौरे के मद्देनजर चीन का विदेश मंत्रालय मोदी के बयान पर सीधी प्रतिक्रिया से बचता नजर आया। चीनी प्रवक्ता किन गांग ने मोदी की टिप्पणियों पर कहा कि 'हमें उनकी जापान यात्रा के बारे में प्रासंगिक सूचना है। उनकी टिप्पणी का आप उल्लेख कर रहे हैं परंतु मैं नहीं जानता कि वह किस संदर्भ में ऐसा कह रहे हैं। मैं उनके(मोदी के) शब्दों को उद्धत करके आपके इस सवाल का जवाब दे सकता हूं।
उन्होंने कहा था कि चीन और भारत समान विकास के लिए सामरिक साझीदार हैं। दोनो देशों के बीच अच्छे पड़ोसी के रिश्ते और सहयोग पूरी दुनिया तथा मानवता की खुशहाली के लिए बहुत अहमियत रखते हैं।'
आधिकारिक तौर पर चीन ने मोदी के बयान पर भले ही सतर्क प्रतिक्रिया दी हो लेकिन सरकारी नियंत्रण वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स ने मोदी और जापानी प्रधानमंत्री की मुलाकात पर खासी नुक्ताचीनी की है।
अखबार ने जापानी प्रधानमंत्री पर चीन और भारत के रणनीतिक रिश्तों में दरार डालने का आरोप लगाया। साथ ही सलाह भी दी कि भारत को अपने सुरक्षा सहयोग का दायरा बढ़ाने से पहले इस इलाके में चीन, जापान और अमेरिका के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बारे में भी ध्यान रखना चाहिए।
किसने, क्या-कहा:
'जो भगवान बुद्ध को मानते हैं और विकासवाद में भरोसा करते हैं, वे तरक्की करते हैं। जिनके पास 18वीं सदी की विचारधारा है, वे दूसरों का सागर अतिक्रमण करने में व्यस्त हैं।'
-नरेंद्र मोदी
'पता नहीं उन्होंने (मोदी) यह बात किस संदर्भ में कही है। वैसे मोदी द्विपक्षीय विकास के लिए भारत और चीन को अहम रणनीतिक सहयोगी मानते हैं।'
-किन गांग, प्रवक्ता, चीनी विदेश मंत्रालय
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