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    US-ताइवान की नजदीकी से बौखलाया चीन, कर रहा है 'बल प्रयोग' की तैयारी

    By Kishor JoshiEdited By:
    Updated: Thu, 15 Dec 2016 04:07 PM (IST)

    चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' में छपे संपादकीय में कहा गया है, 'अब समय आ गया है जब चीन को अपनी ताइवान नीति को दोबारा तैयार करना चाहिए जिसमें बल प्रयोग प्रमुख विकल्प हो।

    बीजिंग (जेएनएन)। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के साथ चल रही तनातनी के बीच चीन ने सार्वजनिक तौर पर ताइवान में "बल प्रयोग" करने की वकालत की है। दरअसल, अमेरिका-ताइवान की बढ़ती नजदीकी से चीन तिलमिलाया हुआ है।

    चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' में छपे संपादकीय में कहा गया है, 'अब समय आ गया है जब चीन को अपनी ताइवान नीति को दोबारा तैयार करना चाहिए जिसमें बल प्रयोग प्रमुख विकल्प हो।" ग्लोबल टाइम्स के इस संपादकीय को इसलिए भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसका चीन की सरकार से सीधा संबंध हैं। विदेश नीति से जुड़े किसी भी मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए चीनी सरकार इसी का सहारा लेती है।

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    कुछ दिन पहले अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति ने 4 दशक पुराने प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए ताईवान के राष्ट्रपति से फोन पर बात की और 'वन चाइना पॉलिसी' को लेकर सवाल खड़े किए हैं तभी से चीन इस बातचीत को लेकर अमेरिका से नाराज है। ग्लोबल टाइम्स और चीन की अन्य राष्ट्रवादी मीडिया ने इसे ताइवान की छोटी चाल तक बता दिया था। वहीं, चीन के विदेशमंत्री ने इस बातचीत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि इस फोन कॉल के बाद चीन और अमेरिका के संबंध खराब नहीं होंगे।

    अब ताइवान को लेकर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के फायदे को ध्यान में रखते हुए संबंधों को देख रहे हैं। खास बात ये है कि अमेरिका की मौजूदा सरकार ने भी ट्रंप के बयान पर विरोध जताया है। ग्लोबल टाइम्स के इस संपादकीय में लिखा गया है, 'अगर ट्रंप वन चाइना' पॉलिसी का त्याग करते हैं या सार्वजनिक तौर पर ताइवान की आजादी का समर्थन तथा ताइवान को हथियार बेचते हैं तो चीन के पास वॉशिंगटन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझेदारी रखने का कोई कारण नहीं बचेगा।'

    लेख में कहा गया है कि फोन पर 'ताइवानी राष्ट्रपति' कह कर संबोधन करना संदेह पैदा करता है कि बिजनेसमैन से राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप 'वन चाइना पॉलिसी' की विरासत को आगे बढ़ा पाएंगे।

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    आपको बता दें कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। और 'वन चाइना पॉलिसी' के तहत अमेरिका भी ये मानता आया है कि ताइवान चीन का हिस्सा है। दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों की बुनियाद भी 'वन चाइना पॉलिसी' पर ही टिकी है। इस नीति के तहत अमेरिका ताइवान के बजाए चीन से आधिकारिक रिश्ते रखता है।