भारतीय मैनुफैक्चरिंग सैक्टर के बढ़ते दबदबे से चीन में खलबली
लेख में उन पहलुओं का जिक्र किया गया है जिनसे भारत को लाभ हो रहा है। उनमें सैलरी भी है। चीन में 2008 के बाद से वेतन में 10.6 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।

बीजिंग, प्रेट्र । चीन को चिंता है। उसमें खलबली है कि वह मैन्यूफैक्चरिंग में अपना दबदबा खो देगा। जिन चीजों की बदौलत उसने इस सेक्टर में दुनियाभर में बादशाहत कायम की, अब वही भारत के पाले में हैं। यही उसकी परेशानी का सबब बना हुआ है। चीनी मीडिया इस पहलू को हवा देने में लग गया है। वह कहने लगा है कि चीन के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को भारत से जितनी कड़ी टक्कर मिलने वाली है, वह उसकी सोच से कहीं ज्यादा बड़ी है।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में एक लेख छपा है। यह चर्चा का विषय बन गया है। इसमें कहा गया है कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर भारत की तरफ से प्रतिस्पर्धात्मक दबाव है। सरकार जितना सोच रही है यह उससे कहीं ज्यादा बड़ा है। इस चुनौती से निपटने के लिए उसे उत्पादन लागत को घटाना चाहिए।
लेख में उन पहलुओं का जिक्र किया गया है जिनसे भारत को लाभ हो रहा है। उनमें सैलरी भी है। चीन में 2008 के बाद से वेतन में 10.6 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। इसी अवधि में भारत में ये महज 0.2 फीसद बढ़ीं। भारत में उपलब्ध सस्ते श्रम ने चीन के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। समय आ गया है जब चीन मैन्यूफैक्चरर्स के लिए उत्पादन लागत को कम करने की खातिर ठोस कदम उठाए।
इस बाबत चीन की अर्थव्यवस्था को रियल एस्टेट पर निर्भरता घटानी होगी। मैन्यूफैक्चरर्स के लिए अनुकूल निवेश माहौल तैयार करना होगा। पहले ही हुआवे जैसी चीन की कई स्मार्टफोन कंपनियों ने भारत में ही हैंडसेट बनाने की योजना का एलान कर दिया है। सस्ते श्रम की वजह से उन्होंने यह कदम उठाया है। भारत का सस्ता श्रम चीन को मजबूर करेगा कि वह ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग परिदृश्य में बढ़त बनाए रखने के लिए और प्रयास करे।
लिखा गया है कि चीन ने अपने सेवा और परमाणु ऊर्जा उद्योग जैसे हाई-टेक सेक्टर को विकसित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। लेकिन ऐसा करते हुए उसे मैन्यूफैक्चरिंग पर पकड़ ढीली नहीं करनी चाहिए। इस सेक्टर की रोजगार तैयार करने में खास भूमिका है। चीन की 1.4 अरब की आबादी और रोजगार की बढ़ती घरेलू मांग को देखते हुए उसके लिए एकदम से सर्विस सेक्टर पर निर्भर करना आसान नहीं होगा। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर चीन की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना रहेगा।
भारत की ओर से लगातार बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने चीन के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। वह यह है कि इस प्रतिस्पर्धा के बीच चीन खुद को कैसे आगे रखे। खासतौर से तब जब देश में सस्ते श्रम का लाभ तेजी से घटता जा रहा है। कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन के मुकाबले भारत को ज्यादा तरजीह दे रही हैं और वहां रुख कर रही हैं।

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