Move to Jagran APP

मंगोलिया को भारत की मदद पर फट पड़ा नेपाल में घुस रहा चीन

अखबार ने कहा है कि नेपाल के साथ रेल-रोड संपर्क को बढ़ावा देने की कोशिशों के जवाब में भारत भी चीन के पड़ोसी मंगोलिया के साथ अपने संबंध बढ़ा रहा है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 12 Dec 2016 10:17 PM (IST)Updated: Mon, 12 Dec 2016 10:27 PM (IST)

बीजिंग, प्रेट्र : रेल-सड़क कार्गो (माल ढुलाई) परियोजना से नेपाल में पैठ बढ़ाने की कोशिशों में लगे चीन को भारत से मंगोलिया को मिली मदद पच नहीं रही। चीन के सरकारी अखबार ने एक अरब डॉलर (करीब 67 अरब रुपये) की इस मदद को रिश्वत बताया है। साथ ही चीन-नेपाल कार्गो रेल परियोजना का विरोध करने पर भारत को अंतहीन मुश्किलों की चेतावनी दी है। इस परियोजना के पूरा होने से नेपाल में भारतीय उत्पादों की बिक्री पर भारी असर पड़ने की आशंका है।

loksabha election banner

अखबार ने कहा है कि नेपाल के साथ रेल-रोड संपर्क को बढ़ावा देने की कोशिशों के जवाब में भारत भी चीन के पड़ोसी मंगोलिया के साथ अपने संबंध बढ़ा रहा है। इसके लिए भारत ने मंगोलिया को एक अरब डॉलर की रिश्वत दी है। गौरतलब है कि आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा की उलान बटोर यात्रा के विरोध में चीन ने मंगोलिया की आपूर्ति पर रोक लगा दी थी। इससे बुरी तरह प्रभावित मंगोलिया को बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी उलान बटोर यात्रा के दौरान एक अरब डॉलर की मदद की घोषणा की थी।

पिछले सप्ताह भी मंगोलिया को चेता चुके ग्लोबल टाइम्स ने अब कहा है, 'मंगोलिया के साथ भारत के सहयोग के प्रति चीन ज्यादा संवेदनशील नहीं है, लेकिन यदि यह सहयोग चीन का विरोध करने के लिए किया जा रहा है तो इसे सहन नहीं किया जाएगा। वैसे भी मंगोलिया की अर्थव्यवस्था 90 फीसद तक चीन पर निर्भर है। चीन का प्रभाव समाप्त करना असंभव है। इस दिशा में एक अरब डॉलर की रिश्वत देने के बावजूद भारत के प्रयास बेकार जाएंगे।'

अखबार ने चीन-नेपाल के बीच नए रेल-रोड कार्गो प्रोजेक्ट का बचाव करते हुए कहा है कि इससे दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ेगा। यह नई रेल-रोड कार्गो सेवा तिब्बत के ग्वांगदोंग और नेपाल को जोड़ती है। बीते शुक्रवार को ही 28 लाख डॉलर का माल लेकर दर्जनों ट्रक चीन से नेपाल की तरफ रवाना हुए हैं। अखबार ने कहा है कि इसका मतलब यह नहीं है कि भारत के सामान नेपाल के बाजार से बाहर हो जाएंगे। भारत को चीन के अन्य देशों के साथ बढ़ते सहयोग के मामले में अत्यधिक संवेदनशीलता से बचना चाहिए। यदि भारत ने नेपाल में चीन द्वारा निर्यात किए गए सामान को भारतीय सामान के विरोध के तौर पर देखा तो उसे अंतहीन मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.