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    दक्षिण चीन सागर विवाद और बढ़ने के आसार, चीन बढाएगा इलाके में नौसेना

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Thu, 14 Jul 2016 10:14 AM (IST)

    दक्षिण चीन सागर पर इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद चीन ने साफ कर दिया है कि वह अपनी जल सीमा की रक्षा के लिए नौसेना के जहाज को तैनात करेगा।

    बीजिंग, प्रेट्र/रायटर : दक्षिण चीन सागर पर आए अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को कूड़े में फेंकने योग्य बताते हुए चीन ने विवादित इलाके पर हवाई सुरक्षा क्षेत्र बनाने का अधिकार जताया है। इससे अन्य देश के विमान को वह सागर के ऊपर से उड़ने से रोक सकेगा। चीनी रक्षा मंत्री जनरल चांग वैंकुआन ने साफ कहा है कि उनका देश न्यायाधिकरण के आदेशानुसार कोई कार्य नहीं करेगा।

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    उन्होंने कहा, चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री हित किसी भी आदेश से प्रभावित नहीं होने दिए जाएंगे। हेग स्थित न्यायाधिकरण का आदेश मंगलवार को आया था। इसमें फिलीपींस के दावे को सही मानते हुए दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर चीन के अधिकार का दावा खारिज कर दिया गया है। चीन के दावे को बल देते हुए वहां के सहायक विदेश मंत्री लियू झेनमिन ने कहा है कि उनके देश की नौसेना किसी भी समय दक्षिण चीन सागर को अपने अधिकार में ले सकती है। लेकिन इससे पहले ताइवान ने अपनी जल सीमा की रक्षा के लिए सागर में अपना नौसैनिक जहाज तैनात कर दिया है।

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    लियू ने फिलीपींस के साथ सागर क्षेत्र पर अधिकार को लेकर फिर से वार्ता शुरू करने की इच्छा जताई है। साथ ही चेतावनी दी कि क्षेत्र में तनाव पैदा करके इसे युद्ध क्षेत्र में तब्दील न किया जाए। इस बीच चीन ने बुधवार को एक श्वेत पत्र जारी किया, जिसमें दक्षिण चीन सागर पर उसके अधिकार को सही ठहराने वाली बातें लिखी गई हैं। कहा गया है कि दो हजार साल से चीन का सागर पर कब्जा है। श्वेत पत्र में न्यायाधिकरण की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए गए हैं।

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    उकसाने वाली गतिविधियों से बचें : अमेरिका

    अमेरिका ने कहा है कि न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम और बाध्यकारी है। इसको माना जाना चाहिए। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जोश अर्नेस्ट ने कहा है कि इस मामले में सभी संबद्ध पक्षों को उकसाने वाली गतिविधियों से बचना चाहिए। जबकि अमेरिका में चीन के राजदूत क्यूई तियंकाई ने कहा है कि आदेश से इलाके में तनाव में इजाफा होगा और टकराव का खतरा बढ़ेगा।