फ्रांस की मैगजीन चार्ली हेब्दो का रहा है विवादों से पुराना नाता
आतंकवादी हमले की शिकार हुई फ्रेंच मैगजीन चार्ली हेब्दो का विवादों से पुराना नाता रहा है। यह मैगजीन लगभग हर विषय पर व्यंग्यात्मक चीजें छापती रही है। इ ...और पढ़ें

नई दिल्ली। आतंकवादी हमले की शिकार हुई फ्रेंच मैगजीन चार्ली हेब्दो का विवादों से पुराना नाता रहा है। यह मैगजीन लगभग हर विषय पर व्यंग्यात्मक चीजें छापती रही है। इस्लाम को लेकर व्यंगात्मक मैटर छापने के कारण इसे कई बार विरोध का सामना करना पड़ा है। आलोचनाओं और विरोध के बावजूद मैगजीन ने अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देकर कभी अपनी शैली से कभी समझौता नहीं किया। प्रत्येक बुधवार को छपने वाली यह मैगजीन साल 1969 से 1981 तक चलने के बाद बंद हो गई थी 1992 में इसका फिर से प्रकाशन शुरू हुआ। कुछ दिन पहले ही मैगजीन ने इराक और सीरिया मे कहर बरपा रहे आतंकी संगठन आईएस के चीफ अबु बकर अल-बगदादी का कार्टून भी छापा था।
चार्ली हेब्दो फ्रांस की सबसे चर्चित व्यंग्यात्मक साप्ताहिक मैगजीन है जिसमें कार्टून, रिपोर्ट्स और जोक्स वगैरह होते हैं। यह मैगजीन राजनीति और कल्चर के अलावा दक्षिणपंथियों, कैथलिक, मुस्लिम और यहूदी धर्म पर भी व्यंग्यात्मक लेख प्रकाशित करती रही है।
वर्ष 2005 में डेनमार्क के एक अखबार में मोहम्मद पर छपे कार्टूनों का दुनिया भर के मुस्लिमों ने विरोध किया था। चार्ली हेब्दो ने वर्ष 2007 में वही कार्टून छाप दिए। इससे फ्रांस के दो मुस्लिम संगठन बुरी तरह भड़क गए और मैगजीन पर केस भी कर दिया था। साल 2011 इस मैगजीन ने 'शरिया एब्दो' नाम से अपना विशेष संस्करण निकालने का ऐलान किया और कहा कि वह इस्लामिक पैगंबर मोहम्मद को एडिटर इन चीफ बताएगी।
मैगजीन के फ्रंट पेज में पैगंबर मोहम्मत की तस्वीर यह कहते हुए छापा था- अगर हंसते-हंसते आप मरते नहीं हैं तो 100 कोड़े लगाए जाएंगे। बैक पेज पर मोहम्मद को लाल रंग की नाक में यह कहते हुए दिखाया गया था- हां, इस्लाम और हास्य साथ-साथ चल सकते हैं। इसकी प्रतिक्रिया में दो नवंबर 2011 को मैगजीन के ऑफिस पर बम से हमला किया गया और साइट हैक कर ली गई। इसके बाद मैगजीन की टीम को नए ऑफिस में शिफ्ट होना पड़ा।
सितंबर 2012 में मैगजीन ने पैगंबर पर व्यंग्यात्मक कार्टूनों की पूरी श्रृंखला प्रकाशित की, जिनमें से कुछ अश्लील थे। मैगजीन ने कार्टूनों की श्रृंखला उस समय प्रकाशित की जब इस्लाम पर आधारित एक फिल्म के विरोध में अमेरिका के दूतावासों पर हमले हुए थे। हमलों की आशंका को देखते हुए फ्रांस सरकार ने मुस्लिम देशों में फ्रेंच दूतावासों की सुरक्षा बढ़ा दी थी।

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