पाकिस्तानी मीडिया ने स्वीकारा, हिंदुओं पर हुआ अत्याचार
इस्लामाबाद। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक खास तौर पर हिंदू कई दशकों से अत्याचार का सामना कर रहे हैं। यह बात पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार ने अपने संपादकीय में कही है। अखबार ने हिंदू व अन्य अल्पसंख्यकों के पाकिस्तान में रहने और उन्हें यहां सुरक्षित महसूस कराने की जरूरत पर भी बल दिया है।
इस्लामाबाद। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक खास तौर पर हिंदू कई दशकों से अत्याचार का सामना कर रहे हैं। यह बात पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार ने अपने संपादकीय में कही है। अखबार ने हिंदू व अन्य अल्पसंख्यकों के पाकिस्तान में रहने और उन्हें यहां सुरक्षित महसूस कराने की जरूरत पर भी बल दिया है।
न्यूज इंटरनेशनल अखबार ने गुरुवार को प्रकाशित अपने संपादकीय में जैकोबाबाद से 200 हिंदू परिवारों के भारत पलायन को विवादास्पद बताया। समाचार पत्र के मुताबिक एक ओर जहां कुछ हिंदू नेता व मानवाधिकार कार्यकर्ता सिंध प्रांत में कानून व्यवस्था की लचर हालत और जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने को पलायन की प्रमुख वजह मान रहे हैं। वहीं मामले की जांच करने वाले तीन सदस्यीय दल ने इसका पुरजोर खंडन किया है। गृहमंत्री रहमान मलिक ने इस मामले को देश की छवि खराब करने की एक साजिश बताई है। वहीं लरकाना स्थित जनरल हिंदू पंचायत ने उम्मीद जताई है कि पाकिस्तानी सरकार उन्हें सुरक्षा मुहैया कराएगी और उसके सदस्य किसी कीमत पर देश छोड़कर नहीं जाएंगे।
संपादकीय में सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी द्वारा 14 अगस्त को दिए गए उस भाषण का भी उल्लेख किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान सभी समुदायों का देश होना चाहिए। पर इन सबसे इतर समाचार पत्र ने स्वीकार किया है कि पाकिस्तान में रह रहे हिंदू कई दशकों से उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। समाचार पत्र में कहा गया है कि हाल के वर्षो में सिंध और बलूचिस्तान के हिंदुओं ने सबसे अधिक अत्याचार और यातनाएं झेली हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई हिंदू परिवार यहां से पलायन कर चुके हैं। हमें अल्पसंख्यकों को ऐसा माहौल देना चाहिए जिससे वे खुद को सुरक्षित महसूस करें। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सिंध में जहां हिंदू-मुस्लिम वर्षो से प्रेमपूर्वक रहते आएं है वहां इतना तनाव पैदा हो गया है। इस समस्या के समाधान केलिए जल्द ही सख्त कदम उठाने की जरूरत है, जिससे हिंदू अपना देश छोड़ने पर विवश न हों।
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