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    यमन युद्ध से धनी और मजबूत हुआ अल कायदा

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Fri, 08 Apr 2016 08:15 PM (IST)

    विदेश में इस्लामिक स्टेट (आइएस) और अपने घर में सुरक्षा चाकचौबंद होने से अल कायदा अप्रासंगिक होने के कगार तक पहुंच गया था। लेकिन यमन में अब यह खुलेआम एक मिनी स्टेट पर शासन कर रहा है।

    दुबई। विदेश में इस्लामिक स्टेट (आइएस) और अपने घर में सुरक्षा चाकचौबंद होने से अल कायदा अप्रासंगिक होने के कगार तक पहुंच गया था। लेकिन यमन में अब यह खुलेआम एक मिनी स्टेट पर शासन कर रहा है। अब यह आतंकी संगठन एक बैंक जमा की जब्ती और देश के तीसरे सबसे बड़े बंदरगाह के संचालन से अनुमान के मुताबिक करोड़ों डॉलर का मालिक बन चुका है।

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    यमन युद्ध से अल कायदा धनी तो हुआ ही मजबूत भी हो गया है। यदि आइएस की राजधानी सीरिया का शहर रक्का है तो अल कायदा की मकाल्ला है। पांच लाख की आबादी वाला मकाल्ला यमन का दक्षिणी बंदरगाह शहर है। अलकायदा के लड़ाकों ने स्थानीय लोगों के सभी कर माफ कर दिए हैं। पोतों पर आवाजाही शुल्क लगाया है और प्रचार वीडियो बना रहे हैं। इन वीडियो में अल कायदा स्थानीय पक्की सड़कों और अस्पतालों पर शेखी बघारता है।

    इसके नवोदय में सबसे ज्यादा योगदान यमन में सऊदी नीत सैनिक हस्तक्षेप का है। इस सैनिक हस्तक्षेप को अमेरिका का भरपूर समर्थन हासिल रहा। लेकिन करीब 20 वर्ष पहले सामने आए अरब प्रायद्वीप में अल कायदा (एक्यूएपी) को पहली बार मजबूत होने का मौका मिला है।

    यमन के सरकारी अधिकारियों और स्थानीय व्यापारियों का अनुमान है कि समूह ने बैंक जमा जब्त करने के साथ ही साथ राष्ट्रीय तेल कंपनियों से 14 लाख डॉलर की वसूली भी की। इतना ही नहीं बंदरगाह पर रोजाना पहुंचने वाले सामान और तेल से करीब 20 लाख डॉलर की कमाई भी हो रही है।

    खुद को बनाए रखने के लिए एक्यूएपी ने मकाल्ला में 1000 लड़ाकों को तैनात कर रखा है। 600 किलोमीटर समुद्री तट पर नियंत्रण रख रहा है और खुद को यमन के दक्षिण हिस्से के निवासियों से जोड़ रहा है। दक्षिण यमन के लोग वर्षों से उत्तरी सभ्रांतों द्वारा उपेक्षित महसूस करते हैं।

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