तबाही के बाद नेपाल में बिछी लाशें, पसरा मातम
जगह-जगह बिछी हुई लाशें। चारों ओर पसरा हुआ तबाही का मंजर। जिन इमारतों में कल तक जिंदगी की मुस्कुराहट थी, आज उनके मलबों में मौत का रुदन है। शनिवार के भूकंप ने हिमालय की गोद में बसे नेपाल को बर्बाद कर दिया है।
काठमांडू। जगह-जगह बिछी हुई लाशें। चारों ओर पसरा हुआ तबाही का मंजर। जिन इमारतों में कल तक जिंदगी की मुस्कुराहट थी, आज उनके मलबों में मौत का रुदन है। शनिवार के भूकंप ने हिमालय की गोद में बसे नेपाल को बर्बाद कर दिया है।
राजधानी काठमांडू की हालत सबसे खराब है। भूकंप आने के कुछ ही देर बाद शुरू हुआ राहत और बचाव का काम लगातार जारी है। बुलडोजर, कुल्हाड़ी और फावड़े से लोग मलबा हटाने में लगे हुए हैं। कुछ लोग खाली हाथ भी दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इन्हें खाली हाथ कहना शायद मुनासिब नहीं होगा।
उन्होंने अपने हाथों को ही औजार बना लिया है। जैसे-जैसे मलबा हट रहा है, लाशों की गिनती बढ़ती जा रही है। एक..दो..तीन..पंद्रह..सोलह..पचास.. साठ। राहत कार्य में लगे लोगों का मन भारी होने लगा है। मलबों को हटाने में छलनी हो चुके हाथों से खून आने लगा है, लेकिन हौसला कायम है।
काठमांडू के त्रिभुवन विश्वविद्यालय शिक्षण अस्पताल में लाशों को लाया जा रहा है। इनको एक अंधेरे कमरे में रखा गया है। कल के भूकंप से पहले ये हंसते-खेलते पुतले थे। अब इनकी पहचान एक लाश की है। पुलिस अधिकारी सुदन श्रेष्ठ कहते हैं कि उनकी टीम ने रातभर में 166 लाशों को मलबे से निकाला है। उन्होंने कहा, 'हम सब बुरी तरह थक चुके हैं, लेकिन काम तो करना ही है।'
इसी बीच, एक एंबुलेंस तीन और लाशों को लेकर आता है। कुछ के शरीर पर कपड़े हैं और कुछ पूरी तरह निर्वस्त्र। सात साल के एक लड़के का शव बहुत विकृत हो चुका है। उसका आधा चेहरा गायब है और पेट फुटबॉल की तरह फूल गया है। भूकंप ने 30 साल की एक महिला से उसका सुहाग छीन लिया है। उसके विलाप से वहां उपस्थित लोगों की आंखें नम हो जाती हैं। वह बार-बार एक ही बात दुहरा रही है, 'हे भगवान, सिर्फ उनको ही क्यों ले गए? मुझे भी उनके साथ ही ले चलो।'
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