ब्रिटेन में दस लाख से अधिक बुजुर्ग हैं अकेले
ब्रिटेन में दस लाख से भी अधिक ऐसे लोग हैं जो वृद्धावस्था में बिल्कुल अकेले संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें मदद की सख्त जरूरत है। वृद्धों की देखभाल करने वाली एक ब्रिटिश संस्था चैरिटी एज यूके के अध्ययन में यह बात सामने आई है। संस्था के अनुसार एक सभ्य
लंदन। ब्रिटेन में दस लाख से भी अधिक ऐसे लोग हैं जो वृद्धावस्था में बिल्कुल अकेले संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें मदद की सख्त जरूरत है। वृद्धों की देखभाल करने वाली एक ब्रिटिश संस्था चैरिटी एज यूके के अध्ययन में यह बात सामने आई है। संस्था के अनुसार एक सभ्य समाज में ऐसे हालात बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
अध्ययन के अनुसार यह बुजुर्ग घरेलू, रिश्तेदारों अथवा मित्रों की मदद के बिना अकेले ही जी रहे हैं। उन्हें खाना पकाना, कपड़े धोना और दवा लेने जैसे कई अन्य काम खुद अपने ही दम पर करने पड़ते हैं। अध्ययन में बताया गया है कि 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के इन बुजुर्गों को अपना ध्यान रखने में खासी कठिनाई पेश आती है। बुजुर्गों के इन हालात के लिए संस्था ने मुख्य तौर पर काउंसिल फंडिंग में कटौती को जिम्मेदार ठहराया है जिस कारण आश्रित बुजुर्गों को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि उनके रिश्तेदार, मित्र और पड़ोसी उनकी मदद को आगे आएं।
संस्था की निदेशक कैरोलीन एब्राहम्स के अनुसार, 'हमारी संस्कृति में सभी आयुवर्ग, परिवारों और समुदायों को समाहित करने से जुड़ी उदारता होनी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि हम सबके साथ उदारता बरतें जिसका खुद हमें भी लाभ होगा।' संस्था ने कैमरन सरकार से आगामी बजट में फंडिंग में कटौती नहीं करने का आग्रह किया है। उसका कहना है कि अगर बजट में कटौती की गई तो बड़ी संख्या में बुजुर्गों को ज्यादा संघर्ष करना पड़ेगा। ब्रिटिश सरकार ने भी पिछले सप्ताह जनता से अपील की है कि वह अपने वृद्ध रिश्तेदारों से संपर्क में रहें।
गौरतलब है कि पश्चिम के विकसित देशों के यह हालात भारत से मिलते-जुलते दिख रहे हैं जहां आए दिन देश के वृद्धाश्रमों की खस्ता हालत की खबरें पढ़ने-सुनने को मिलती हैं। भारत में बुजुर्गों की यह हालत संयुक्त परिवारों के टूटने के कारण भी मानी जाती है।